Wilson Disease in Hindi ( विल्सन रोग के लक्षण, कारण और उपचार )

स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कई बीमारियों को जन्म देती है। जबकि कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं जो कि एक व्यक्ति को उसके माता-पिता के जरिए मिलती हैं। जिन्हें अनुवांशिक बीमारी कहा जाता है। एक ऐसी ही बीमारी है जिसे विल्सन रोग कहते है । हो सकता है कि यह नाम आपने पहली बार सुना हो लेकिन इसके बारे में जानकारी होना जरूरी है। ताकि समय रहते इसके प्रभाव को कम किया जा सके । आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में विल्सन रोग संबंधित संपूर्ण जानकारी देंगे।

विल्सन रोग क्या होता है (Wilson Disease in Hindi)

विल्सन रोग की बीमारी एक दुर्लभ प्रकार की अनुवांशिक बीमारी है। जो शरीर में तांबे के जहर का कारण बनती है। यह रोग सौ में से एक व्यक्ति को प्रभावित करता है। विल्सन रोग में व्यक्ति के शरीर में अत्यधिक मात्रा में तांबा जमा हो जाता है। शरीर में तांबा का बढ़ा हुआ स्तर हानिकारक साबित होता है । यह लीवर ,आंखों और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है। यदि स्थित अधिक गंभीर हो जाती है। तो व्यक्ति को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। अन्यथा जान भी जा सकती है। कॉपर स्वस्थ हड्डियों तंत्रिकाओं कोलेजन और मेलेनिन नामक त्वचा वर्णक के विकास में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। आमतौर पर तांबे को भोजन से अवशोषित किया जाता है। और अतिरिक्त यकृत में उत्पादित पदार्थ के माध्यम से उत्सर्जित होता है। जिसे पित्त कहा जाता है। विल्सन की बीमारी होने पर कॉपर ठीक से नहीं निकल पाता और शरीर में जमा हो जाता है।

विल्सन रोग के लक्षण क्या है (Symptoms of Wilson Disease in Hindi)

विल्सन रोग के लक्षण आमतौर पर मस्तिष्क और लीवर से संबंधित होते हैं जो इस प्रकार हैं।

  • उल्टी आना
  • कमजोरी होना
  • पेट में अत्यधिक तरल पदार्थ का जमा होना
  • पैरों में सूजन आना
  • खुजली होना
  • डिप्रेशन होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन होना
  • दौरे पड़ना
  • डिप्रेशन होना
  • मूड में बदलाव होना
  • व्यक्तित्व में परिवर्तन होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन होना
  • गुर्दे में पथरी होना
  • जोड़ों में दर्द होना
  • मासिक धर्म की अनियमितता होना

विल्सन रोग की जटिलता क्या है (Complication of Wilson’s disease in Hindi)

विल्सन रोग से होने वाली जटिलताएं निम्न है।

लीवर में घाव

चूंकि लिवर कोशिकाएं अतिरिक्त तांबे द्वारा किए गए नुकसान की मरम्मत करने की कोशिश करते हैं। लिवर में निशान ऊतक बनते हैं। जिससे लीवर का कार्य करना अधिक कठिन हो जाता है।

लीवर फेलियर

यह अचानक हो सकता है या फिर वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होता है। एक लीवर प्रत्यारोपण एक उपचार विकल्प हो सकता है।

न्यूरोलॉजिकल समस्याएं

विल्सन रोग होने पर व्यक्ति को कभी कभी अनैच्छिक मांसपेशियों की गति चलने में दिक्कत और भाषण घटनाओं में आमतौर पर विल्सन रोग में यूरोलॉजिकल जैसी समस्याएं होती हैं हालांकि कुछ लोगों में इलाज के बावजूद लगातार न्यूरोलॉजिकल कठिनाई बनी रहती हैं।

किडनी से संबंधित समस्याएं

विल्सन रोग की बीमारी किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे किडनी की पथरी और मूत्र में अमीनो एसिड की असामान्य संख्या जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मनोवैज्ञानिक समस्याएं

इनमें व्यक्तित्व परिवर्तन और साथ छिछोरापन दूध रवि विकार या मनोविकृति शामिल होता है।

रक्त की समस्या

इनमें लाल रक्त कोशिकायें खत्म होने की आशंका ज्यादा बनी रहती है। जिसकी वजह से एनीमिया और पीलिया होता है।

विल्सन रोग होने का क्या कारण है

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विल्सन रोग ए टी पी 7b जीन में म्यूटेशन के कारण होता है। यह जीन कॉपर ट्रांसपोर्टिंग एटीपी एस 2 नामक प्रोटीन को बनाने का निर्देश देता है। जो लीवर से शरीर के बाकी अंगों तक कॉपर को पहुंचाने का काम करता है। इसके अलावा यह एटीपीएस 2 नामक प्रोटीन शरीर से अतिरिक्त कॉपर की निकालने में मदद करता है। वही जब एटीपी 7 बी जीन में परिवर्तित आता है। तो यह कॉपर ट्रांसपोर्टिंग प्रोटीन की कार्यप्रणाली को बाधित करता है। जिससे शरीर में अतिरिक्त कॉपर नहीं निकल पाता और शरीर में कॉपर की अधिकता हो जाती है। परिणाम स्वरूप कॉपर का जमाव टॉक्सिक्रोक रहता है। और शरीर को क्षति पहुंचाने का काम करता है।

विल्सन रोग का निदान कैसे

विल्सन की बीमारी का निदान चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि अन्य यकृत रोगों जैसे हेपेटाइटिस के समान होते हैं । निम्नलिखित परीक्षण इस स्थित का निदान करने में सहायक है।

रक्त परीक्षण

रक्त परीक्षण आपके यकृत के कार्य की निगरानी करने और रक्त में तांबे को बांधने वाले प्रोटीन स्तर और रक्त में तांबे के स्तर की जांच करने में मदद करते हैं।

मूत्र परीक्षण

डॉक्टर 24 घंटे की अवधि के दौरान मूत्र में उत्सर्जित तांबे की मात्रा को मापते है।

नेत्र परीक्षण

एक नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा स्लिप्ड क्लाइंब के साथ एक माइक्रोस्कोप का उपयोग आंखों में केसर फ्लेशर के छल्लो की जांच के लिए किया जाता है। जो आंखों में अतिरिक्त कॉपर आने के कारण होता है। विल्सन की बीमारी एक प्रकार का मोतियाबिंद भी पैदा करती है। जिसे सूरजमुखी मोतियाबिंद के रूप में माना जाता है। इसका पता आंखों की जांच से लगाया जा सकता है।

बायोप्सी

डॉक्टर द्वारा लीवर के ऊतकों का एक नमूना निकाला जाता है। और अतिरिक्त तांबे की जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। जिसे बायोप्सी कहते है।

अनुवांशिक परीक्षण

विल्सन रोग का पता लगाने के लिए अनुवांशिक उत्परिवर्तन या उन परिवर्तनों की पहचान करने में मदद करता है। जो विल्सन की बीमारी का कारण बन सकते है।

विल्सन रोग होने पर क्या नहीं खाना चाहिए

विल्सन रोग से पीड़ित लोगों को अपने डाइट का खास ध्यान रखना जरूरी है। वास्तव में कॉपर से भरपूर फूड्स ज्यादा मात्रा में खाने से आपके लीवर और समग्र स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते है। हम आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ के बारे में बता रहे । जिन्हें खाने से बचना चाहिए।

चॉकलेट

इसमें ना केवल कोको की बल्कि कॉपर की मात्रा भी अधिक होती है । 85 ग्राम चॉकलेट में 0. 75 मिलीग्राम को कॉपर पाया जाता है। जो कि रोजाना की कॉपर डोज का जरूरत का लगभग 80 फीसदी है।

मीट

विल्सन रोग से पीड़ित लोगों को रेड मीट खाने से बचना चाहिए। क्योंकि 28 ग्राम पके हुए मीट में 4 मिलीग्राम कॉपर होता है।

मशरूम

आपको बता दें कि 100 ग्राम मशरूम में 0.4 से 0.5 मिलीग्राम के बीच कॉपर पाया जाता है। इसलिए कॉपर का सीमित सेवन करने के लिए मशहूर खाने से बचें।

नट्स

विल्सन रोग से पीड़ित लोगों को नट्स खाने से बचना चाहिए। 100 ग्राम मिक्स नट्स में लगभग 1.8 ग्राम का कॉपर पाया जाता है। जो कि रोजाना की कॉपर डोज की जरूरत का 90 फीसदी है।

सेल्फिश

विल्सन रोग से पीड़ित लोगों को सुविधाएं स्क्विड, क्रैब, लाबास्टर और क्लेम जैसी सेल्फिश खाने से बचना चाहिए। 100 ग्राम पक्की हुई शेल्फिस में 1. 9 मिलीग्राम कॉपर का होता है। जो कि रोजाना कॉपर की डोज का लगभग 97% है।

विल्सन रोग के लिए दृष्टिकोण क्या है

इससे पहले की आपको पता चले कि आपने विल्सन रोग वाले जीन है। बेहतर होगा कि आप रोग का निदान करें। क्योंकि विल्सन रोग यकृत, आंख और मस्तिष्क को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। विल्सन रोग पुरुष और महिलाओं दोनों में हो सकता है। कभी कभी यह बीमारी शुरू में पता नही चलती और कुछ वर्षो बाद गंभीर हो जाती है । अक्सर यह भी देखा गया है। कि विल्सन रोग होने पर इसके लक्षण भी कम नजर आते है। जिससे विल्सन रोग के निदान में थोड़ी समस्या आती है। फिर भी निदान के बाद रोगी कुछ महीने में ठीक हो जाता है। जबकि कई रोगी को बुरे परिणाम देखने पड़ते है।

Wilson Disease FAQ

विल्सन रोग व्यक्ति के कितने समय तक रह सकता है।

यह एक अनुवांशिक बीमारी है। अगर यह किसी को हो जाए तो जीवन भर यार मरीज के साथ रह सकती है। हालांकि ट्रीटमेंट के बाद और डाइट का पालन करने के बाद इस रोग से निजात पाया जा सकता है।

क्या विल्सन रोग में शराब पी सकते हैं।

शराब लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा एल्कोहल इस बीमारी की स्थित को बिगाड़ सकते हैं ।इसलिए वे व्यक्ति शराब के सेवन से दूर रहें ।जिन्हें विल्सन रोग है।

विल्सन की बीमारी मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करती है।

विल्सन रोग के कारण मस्तिष्क संबंधी समस्याएं जैसे बोलने में परेशानी व्यक्तित्व में बदलाव, चिंता आदि समस्या होती है।

विल्सन की बीमारी का पता किस उम्र में लगता है।

यह रोग कई बार जन्म के समय ही हो जाता है। लेकिन लक्षण आमतौर पर 5 से 35 वर्ष की उम्र के बीच दिखने शुरू हो जाते हैं।

निष्कर्ष

विल्सन रोग कोई गंभीर बीमारी नहीं हैं। लेकिन इसके लक्षण दिखने पर अगर इलाज नही कराया गया तो यह रोग घातक हो सकता है। और व्यक्ति की जान भी जा सकती है। हमने आपको इस आर्टिकल में विल्सन रोग से जुड़ी पूरी जानकारी दी है। उम्मीद है आपको पसंद आई होगी।

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