गांव और शहर में लगभग सभी लोग टिटनेस नाम जानते होंगे। क्योंकि इससे हर व्यक्ति जीवन में एक बार गुजरता है। किसी भी व्यक्ति को जंग लगे किसी औजार से कहीं कट जाए, फट जाए या चोट लगने पर तुरंत इससे निजात पाने के लिए इंजेक्शन लगवाते है। इसलिए कई बार जाने अनजाने में शरीर में कुछ ऐसी छोटी मोटी चोट लग जाती है। जो बाद में टिटनेस का कारण बन जाती है। उपचार के अभाव में यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। जिस वजह से टिटनेस के विषय पर हर किसी को जानकारी होना जरूरी है। इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में टिटनेस संबंधी पूरी जानकारी देंगे।

टिटनेस क्या है (Tetanus in Hindi)

किडनी एक गंभीर बैक्टीरियल बीमारी है। जो क्लॉस्ट्रीडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बैक्टीरिया शरीर में किसी घाव के माध्यम से प्रवेश करते है। इससे शरीर में एक तरह का जहर पैदा होता है। जिससे शरीर की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। आमतौर पर टिटनेस रोग में पूरे शरीर में दर्द की शिकायत होती है। यह विशेष रूप से जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों को प्रभावित करती है। जिसकी वजह से मुंह खोलने या खाना निगलने में परेशानी होती है। एक तरह से इसमें व्यक्ति का जबड़ा लॉक हो जाता है। यही वजह है कि इसे लॉकजा भी कहते है।

टिटनेस कितने प्रकार का होता है। (Types of Tetanus in Hindi)

टिटनेस मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं। जो इस प्रकार है।

जर्नलाईज्ड टिटनेस

यह टिटनेस का सबसे सामान्य रूप होता है। लगभग 80% मामले जर्नलाइज्ड टिटनेस के होते हैं ।इस स्थित के शुरुआती लक्षण जबड़े में ऐठन होना होता है। इसके अलावा इसमें गर्दन शरीर का मध्य भाग यानी ट्रांक और जोड़ों की मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द की शिकायत होती है। गंभीर मामलों में कनवल्शन यानी मांसपेशियों में ऐंठन के साथ दौरे पड़ने की शिकायत संबंधी परेशानी होती है।

लोकलाइज्ड टेटनेस

लोकलाइज्ड टिटनेस के मामले में लोगों में बहुत कम देखे जाते हैं। इसमें रोगी के जख्मों वाले स्थान के आसपास की मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होती है। हालांकि इसके लक्षण काफी हल्के होते हैं। लेकिन देखरेख के अभाव में यह स्थित गंभीर हो जाती है।

सेफालिक टिटनेस

यह टेटनेस मुख्य रूप से सिर व चेहरे पर लगी चोट के घाव से जुड़ा होता है। इसके लक्षण चोट लगने के एक या दो दिनों में दिखाई दे सकते हैं। यह जर्नलाईज्ड टिटनेस से थोड़ा विपरीत होता है। इसमें मांसपेशियों में ऐंठन होने की बजाय मस्तिक से निकलने वाली तंत्रिकाये जिन्हें क्रेनियल नर्व कहा जाता है। उनमें लकवा ग्रस्त जैसी समस्या होने की संभावना होती है । कुछ मामलों में जबड़े की मांसपेशियों में ऐंठन भी हो सकती है। यह आगे जाकर जरलाइज टिटनेस का रूप ले लेती है।

नियोनेटल टिटनेस

बच्चों में टिटनेस की समस्या को नियोनेटल टिटनेस के नाम से जाना जाता है। बच्चों में टिटनेस की वैक्सीन ना लगवाने या टीकाकरण की सारी डोज ना दिलवाने पर बच्चों के इस संक्रमण की चपेट में आने की संभावना अधिक होती है।

टिटनस के लक्षण क्या है

टिटनेस के लक्षण निम्न है।

  • अचानक पेट व शरीर के अन्य मांसपेशियों में ऐंठन होना।
  • पूरे शरीर में अकड़न महसूस होना
  • जड़ों में ऐठन और अकड़न होना
  • लार टपकना
  • बुखार आना
  • ज्यादा पसीना आना
  • हाथ और पैरों में ऐंठन होना
  • चिड़चिड़ापन होना
  • निगलने में परेशानी होना
  • बार बार पेशाब आना
  • ब्लड प्रेशर कम होना
  • हृदय गति में परिवर्तन होना
  • सिर दर्द होना
  • दौरे पड़ना
  • पीठ दर्द करना
  • गला दर्द करना

टिटनेस होने का क्या कारण है

शरीर में टिटनेस होने का मुख्य कारण क्लोसाट्रीयम नामक बैक्टीरिया है। यह बैक्टीरिया मिट्टी ,धूल ,खाद आदि के संपर्क में मौजूद होता है। जब कोई घाव इस बैक्टीरिया के संपर्क में आता है। तो यह शरीर में संक्रमण का कारण बन सकता है। शरीर में यह बैक्टीरिया निम्न स्थितियों में प्रवेश करता है।

  • धूल ,मिट्टी मल या थूक से घाव का दूषित होना।
  • किसी नुकीली वस्तु जैसे सुई ,कील द्वारा चोट लगना।
  • जलने पर होने वाले घाव से टिटनेस का बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है।
  • दबने या कुचलने से होने वाले घाव के जरिए।
  • पुराने घाव और इन्फेक्शन के जरिए।
  • नसों में दिए जाने वाले इंजेक्शन का इस्तेमाल करने पर।
  • हड्डी में इंजेक्शन लगने की स्थिति में बैक्टीरिया शरीर में जाता है।
  • ऑपरेशन के दौरान लगाया गया चीरा के जरिए।
  • चोट की ऊपरी परत हटाने पर।
  • कीड़े के काटने से।
  • दांतों में संक्रमण के जरिए
  • कंपाउंड फैक्चर जिसमें टूटी हुई हड्डी त्वचा को छेदती है।

टिटनेस होने पर जोखिम कारक क्या है

अगर टिटनेस के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए। तो यह गंभीर रूप ले सकता है। इस वजह से कई शारीरिक समस्याएं हो सकती है। आइए जानते है टिटनेस के जोखिम कारक क्या है।

  • वोकल कॉर्ड पैरालिसिस । जिसकी वजह से बोलने और सांस लेने में दिक्कत होना।
  • मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से हड्डी का टूट जाना।
  • स्ट्रेस अल्सर।
  • कोमा में जाना ।
  • हाई ब्लड प्रेशर।
  • जोड़ों का खिसकना ।
  • पेशाब में रुकावट ।
  • निमोनिया की परेशानी।
  • सांस लेने में परेशानी ।
  • फेफड़ों के रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के अटकना।
  • ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचना।
  • मांसपेशियों को नुकसान पहुंचना ।
  • अचानक दिल की धड़कन रुकना ।
  • वायु मार्ग में अवरोध होना ।

टिटनेस का निदान क्या है (Diagnosis of Tetanus in Hindi)

टिटनेस का पता लगाने के लिए कोई परीक्षण नहीं है। किंतु निम्न बिंदुओं के माध्यम से परीक्षण किया जाता है।

शारीरिक परीक्षण

डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करते हैं। इसमें टिटनेस से जुड़े विभिन्न लक्षणों के बारे में पूछते हैं। डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री और इस्तेमाल होने वाली दवाओं के बारे में पूछते हैं। फिर इसी आधार पर ट्रीटमेंट शुरू करते हैं।

स्पैटयूला टेस्ट

टिटनेस की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर स्पैटयूला टेस्ट करने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट में पोस्टीरियर फैरिंजीयल वाल यानी गले के पिछले भाग स्पैटयूला डाला जाता है। इस दौरान जबड़े में किसी तरह का संकुचन होना संक्रमण का इशारा करता है।

टिटनेस का इलाज क्या है (Treatment of Teatnus in Hindi)

रोगी की सही देखभाल

टिटनेस से पीड़ित व्यक्ति को खान-पान और साफ सफाई का ध्यान रखने की जरूरत होती है। इसके अलावा अपने घावों को सही देखभाल की सलाह दी जाती है।

दवाओं द्वारा इलाज

टिटनेस की समस्या की गंभीरता को समझते हुए डॉक्टर ह्यूमन टिटनेस इम्यून ग्लोबुलिन दवा द्वारा इसका इलाज करते हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा

कई बार सामान्य दवाओं से ना ठीक होने पर डॉक्टर टिटनेस की गंभीर समस्या होने पर एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करते हैं। ये टिटनेस बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक होती है।

पेन किलर द्वारा

टिटनेस संक्रमण के कारण मासपेशियों में होने वाला दर्द और अकड़न को संक्रमण है तो मांस पेशियों में होने वाले दर्द और आंकड़ों को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाइयां देते हैं।

टीकाकरण

टिटनेस का इलाज के लिए चिकित्सक रोगी को टिटनेस की वैक्सीन देते हैं। टिटनेस का टीका इम्यून सिस्टम सिस्टम को टॉक्सिंस से लड़ने में मदद करती है।

टिटनेस से बचने के उपाय क्या है (How to prevent tetanus in Hindi)

टिटनेस से बचने का सबसे बेहतर उपाय टीकाकरण है। सीडीसी के अनुसार समय पर नियमित रूप से टिटनेस वैक्सीन लेकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके अलावा टिटनेस संक्रमण से बचने के लिए सभी उम्र के लोगों को टिटनेस वैक्सीन और बूस्टर को समय पर लेने की सलाह दी जाती है। इसके बचाव के लिए बच्चों को डी टैप टीके के 3 शॉट 2,4 और छह महीने की उम्र में दिए जाते हैं। इसके अलावा 12 महीने से 18 महीने की उम्र में चौथा शॉट लगाया जाता है। फिर 4 से 6 और 1 से 12 साल के बच्चों के में अगला शॉट दिया जाता है। इसके बाद हर 10 साल में बूस्टर शॉट लेने की सलाह दी जाती है।

घाव की देखभाल

टिटनेस संक्रमण से बचाव के लिए घाव की तत्काल और अच्छी तरह देखभाल करने की कहा जाता है। घाव, खरोंच और त्वचा पर किसी तरीके मामूली कट होने पर तुरंत चिकित्सा की सलाह दी जाती है।

साफ सफाई

टिटनेस रोगी के बचाव के लिए साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए । साबुन और पानी से हाथ कंबर बार साफ करते रहना चाहिए।

दवाइयों का उपयोग

टिटनेस से बचाव के लिए टीकाकरण ना करवाया हो और गंभीर चोट लगी हो तो ऐसे मामलों में डॉक्टर संक्रमण फैलने को रोकने के लिए दवाइयां देते है।

प्रेगनेंसी में टिटनेस का इंजेक्शन क्यों लगाना चाहिए

गर्भावस्था में हर छोटी बड़ी समस्या के पनपने का ज्यादा जोखिम होता है। इस समय अगर महिला के शरीर में कट लग जाता है। या कहीं जल जाता है। तो इससे उसे टिटनेस इंफेक्शन हो सकता है। इस संक्रमण का असर आने वाले से शिशु को भी हो सकता है। इस वजह से टिटनेस टॉकसाइड वैक्सीन लगाना जरूरी होता है। ऐसे में यह वैक्सीन को गर्भावस्था के समय लगाने से नवजात को टिटनेस इंफेक्शन से बचाया जा सकता है ।इसलिए गर्भावस्था के समय टिटनेस वैक्सीन करवाना जरूरी होता है ।

प्रेगनेंसी के दौरान टीटी इंजेक्शन लगवाने पर ध्यान रखने योग्य बातें क्या है।

गर्भवती को टीटी का इंजेक्शन लगाते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है ।

  • गर्भवती को टीटी के इंजेक्शन को लेकर बताए गए सभी दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए।
  • इस बात का ध्यान रखें कि वैक्सीन देने वाला शीशी को अच्छे से हिलाकर वैक्सीन इंजेक्शन में भरे।
  • वैक्सीन की शीशी बर्फ में ज्यादा जमी हुई नहीं होनी चाहिए।
  • दूसरी डोज के लिए निर्धारित दिन पर ही डॉक्टर के पास जाएं।
  • वैक्सीन लगवाने के बाद उस जगह को बार-बार ना छुएं ।

Tetanus in Hindi Video

निष्कर्ष

टिटनेस को रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका सतर्क रहना है। हम टिटनेस को रोकने के लिए शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गो को टीका लगवाने की सलाह देते है। टिटनेस का अगर उचित समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह गंभीर हो सकती है।

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