हार्ट अटैक और दिल से जुड़े दूसरे रोगों के बाद स्ट्रोक दुनियाभर में मौत का दूसरा कारण बनता जा रहा है। स्ट्रोक सबसे ज्यादा अपनी चपेट में युवाओं को ले रहा है। एक अनुमान के अनुसार आज दुनिया भर में करीब पौने तीन करोड़ लोग स्ट्रोक से जूझने के बाद अपनी जिंदगी जी रहे हैं। और 70 लाख लोग हर साल इस कारण अपनी जान गवां बैठते हैं। पहले जहां स्ट्रोक के मामले आमतौर पर 60 साल के बाद सामने आते थे। अब युवा वर्ग में यह मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस समस्या का बुनियादी कारण अस्वस्थकर जीवनशैली और गलत खानपान है। युवाओं की अति महत्वकांक्षा और फिर उनकी उम्मीदों को पूरा ना होना भी मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उनमें उच्च रक्तचाप और डिप्रेशन का लंबे समय तक बने रहना आगे चलकर स्ट्रोक के खतरे को जन्म देता है। मोटापा, हाई बीपी, किडनी, मधुमेह और न जाने कितनी बीमारियां स्ट्रोक का कारण बन रही हैं ।आज हम आपको इस आर्टिकल में स्ट्रोक संबंधित पूरी जानकारी देंगे।

क्या होता है स्ट्रोक (Stroke in Hindi)

यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है। जिसमें दिमाग पर मौजूद किसी रक्त वाहिका को क्षति या उससे रक्तस्राव होने लगता है। दिमाग में मौजूद रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज होने पर रक्त प्रवाह रुक जाता है। जिससे स्ट्रोक की समस्या हो जाती है। यह एक गंभीर शारीरिक समस्या है। रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज होने से दिमाग में मौजूद टिशु तक में ऑक्सीजन और रक्त नहीं पहुंच पाता है। जिससे उनको पोषण प्राप्त नहीं होता और रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है। इसे मेडिकल की भाषा में ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। इसके होने पर आपातकालीन मेडिकल स्टेट की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो स्ट्रोक होने पर धमनियों में रक्त की आपूर्ति अचानक रुक जाती है या फिर धमनी रक्त वाहिका फट जाती है। साथ ही मस्तिष्क को रक्त की पर्याप्त आपूर्ति न होने से ऑक्सीजन नहीं मिल पाती जिसके परिणाम स्वरुप यह कोशिका धीरे धीरे मरने लगते हैं और व्यक्ति कोमा में चला जाता है।

स्टॉक कितने प्रकार के होते हैं (Types of Stroke in Hindi)

स्ट्रोक निम्न प्रकार के होते हैं।

इस्केमिक स्ट्रोक

इस्केमिक स्ट्रोक, स्ट्रोक का सबसे सामान्य रूप होता है। इसमें मस्तिष्क की धमनियों में अचानक रक्त संचार अवरुद्ध हो जाता है। या फिर धमनी और रक्त वाहिकाएं फट जाती है। ऐसी स्थिति अधिक समय तक जारी रहती है। ऐसी स्थिति में मस्तिष्क की कार्य प्रणाली ठप रहती है। धमनियों में अवरोध अक्सर रक्त के थक्के के कारण बनता है। यह थक्के या तो मुख्य धमनियों के अंदर बनते हैं। जो मासिक से जोड़ते हैं। या फिर मस्तिष्क के भीतर संकुचित धमनियों में बन जाते हैं।

रक्तस्त्रावी स्ट्रोक

इस तरह का स्ट्रोक मुख्य रूप से मस्तिष्क के अंदर रक्त फैलाने वाली धमनियों के लीक होने या फटने कारण होता है। धमनियों से लीक हुआ रक्त मस्तिष्क के अंदर दबाव डालता है ।और मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है ।रक्त स्राव स्ट्रोक के दौरान रक्त वाहिकाएं मस्तिष्क के बीच में मस्तिष्क की कोशिकाओं की सतह के पास फट जाती हैं जिससे मस्तिष्क और खोपड़ी के बीच सेक्युलर स्थान में रक्तस्राव होने लगता है ।इस स्ट्रोक को ब्रेन हेमरेज स्टॉक भी कहते हैं। इसमें इसमें व्यक्ति लकवा ग्रस्त भी हो जाता है।

टीआईए स्ट्रोक

टीआईए में मस्तिष्क की धमनियों में रक्त संचार अचानक कुछ समय के लिए बाधित हो सकता है। व्यक्ति असामान्य और असहज महसूस करता है। हालांकि 1 घंटे के बाद यह लक्षण होता दूर हो जाते हैं ।पर टीआईए खतरे की घंटी है। क्योंकि आगामी 48 घंटे के दौरान इसके दोबारा अटैक होने की आशंका होती है। आपको बता दें कि इस्केमिक स्ट्रोक के लगभग 85% और है हेमोरेजिक स्ट्रोक लगभग 15% मामले सामने आते हैं।

स्ट्रोक के लक्षण क्या है (Symptoms of Stroke in Hindi)

स्ट्रोक के लक्षण निम्न है।

  • उलझन होना
  • बेहोशी आना
  • तेज सिर दर्द होना
  • शरीर का संतुलन बिगड़ना
  • खड़े होने और बैठने में दिक्कत होना
  • अचानक सुन्न आना
  • कमजोरी या चेहरे के एक तरफ लकवे के लक्षण दिखना बांह में कमजोरी आना
  • उठने दिक्कत होना
  • वाक्य ढंग से नहीं बोल पाना
  • आंखों में धुंधलापन होना

किस कारण होता है स्ट्रोक (Causes of Stroke)

स्ट्रोक होने के कई कारण है।

अधिक अल्कोहल का सेवन करना

किसी भी खानपान का एक सही और उचित तरीका होता है। सामान्य से ज्यादा सेवन करने से हानि होती है। स्ट्रोक होने का एक कारण अधिक मात्रा में शराब पीना है। शराब पीने से मस्तिष्क में बुरा असर पड़ता है ।

मधुमेह रोग

मधुमेह यानी शुगर, अगर आप पहले से शुगर के मरीज है। तो आपको स्ट्रोक होने की आशंका अधिक रहती है। इसलिए अपने शुगर लेवल को हमेशा कंट्रोल रखें।

अनुवांशिक कारण

अक्सर देखा गया है कि जो बीमारी हमारे पूर्वजों या माता पिता में होती है। वो बीमारी उनके बच्चों में भी आनुवांशिक जीन की वजह से आ जाती है। स्ट्रोक भी आनुवांशिक जीन के कारण हो सकता है।

मोटापा और तनाव

जरूरत से ज्यादा सोचना और किसी बात को लेकर तनाव लेना स्ट्रोक का कारण बनता है। साथ ही उम्र के हिसाब से अधिक मोटापा भी स्ट्रोक होने का वाजिब कारण बनता है। इसलिए तनाव और मोटापा दोनो से दूर रहें।

स्ट्रोक से बचाव के तरीके क्या है। ( How to Prevent Stroke in Hindi)

स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी है। यह मस्तिष्क और हृदय पर गहरा असर डालती है। इसके बचाव निम्न है।

  • मधुमेह को काबू रखें। इसकी नियमित जांच स्वयं करें या करवाएं।
  • जंक फूड की बजाय साबुत अंकुरित अनाज ,दाल खाएं।
  • पर्याप्त मात्रा में नींद लें।
  • हमेशा तनाव से बचें।
  • नशीले पदार्थ से दूरी बनाएं।
  • अपनी उम्र व शारीरिक क्षमता के अनुसार पहले दौड़े और फिर व्यायाम करें।
  • वजन को काबू रखें।
  • जंक फूड से परहेज करें।
  • निश्चित समय पर खाना खाए।
  • आहार वाली फल व सब्जियां खाएं ,साथ ही डाइटिशियन से भी परामर्श लें।

स्ट्रोक का इलाज क्या है (Treatment of Stroke in Hindi)

स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है। लक्षण आने पर तुरंत इसका इलाज कराएं। स्ट्रोक का इलाज निम्न तरीकों से कारगर है।

दवायें और इंजेक्शन

इनके जरिए मस्तिष्क के किसी भी भाग में रक्त के थक्के को दूर करने का प्रयास किया जाता है।

मेकेनिकल थंबेकटोमी

इस्केमिक स्ट्रोक का यह आधुनिक और काफी मददगार कारगर इलाज है। इसमें एक कैथरेटर डालकर रक्त के थक्के को हटा देते हैं और मस्तिष्क की धमनियों में अवरोध को दूर करते हैं।

क्वायलिंग

हैमरेजिक स्ट्रोक के इलाज में इस मेडिकल प्रोसीजर का इस्तेमाल किया जाता है। मस्तिष्क के जिस भाग में नस फटने से रक्त स्राव या रक्त के थक्के मौजूद होते हैं उन्हें इस प्रक्रिया से दूर करते हैं।

सर्जरी

दिमाग में अधिक रक्तस्राव हुआ हो या खून के थक्के बड़े हो या फिर दिमाग में सूजन बहुत आ चुकी हो तो न्यूरो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है।

डीकंप्रेसिव क्रेनियोटोमी

अगर मस्तिष्क के धमनी में अवरोध है या फिर थक्के के कारण बहुत प्रेशर है। फिर इसे दूर करने के लिए इस विधि का उपयोग किया जाता है।

फिजियो थेरेपी

चेहरा समय शरीर के अन्य अंगों को सुचारू रूप से संचालन में इस थेरेपी से राहत मिलती है। आमतौर पर पीड़ित व्यक्ति को सामान्य दिनचर्या में आने में 3 महीने का समय लगता है जिसमें फिजियोथेरेपी की भूमि मुख्य भूमिका होती है।

स्ट्रोक को डायग्नोज करने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं

स्ट्रोक के बारे में निम्न टेस्ट की जाते हैं।

ब्लड टेस्ट

स्ट्रोक को डायग्नोज करने के लिए ब्लड टेस्ट से आपका ब्लड शुगर लेवल इंफेक्शन प्लेटलेट का स्तर और ब्लड को क्लोट बनने की अवधि की जांच की जाती है।

सिटी स्कैन

स्ट्रोक लक्षण देखने के तुरंत बाद डॉक्टर सिटी स्कैन करते हैं। जिससे दिमाग में क्षतिग्रस्त हिस्से की जांच की जाती है।

एंजियोग्राम

इसमें आपके रक्त में एक डाइ इंजेक्ट की जाती है। और उसके बाद आपके दिमाग का एक्सरे लेकर ब्लॉकेज या हेमरेज रक्त वाहिका पता लगाया जाता है।

एम आर आई

एमआरआई स्कैन से सिटी स्कैन के मुकाबले ज्यादा बारीक स्थिति का पता लगाती है।

इकोकार्डियोग्राम

इसमें साउंड वेब्स की मदद से दिल की तस्वीर निकाली जाती है। जिससे ब्लड क्लोट बनने का स्रोत पता लगता है।

स्टॉक के दौरान मस्तिष्क का क्या होता है

मानव मस्तिष्क को तीन भागों में बांटा गया है। सेरीब्रम सेरीबैलेम और ब्रेनस्टेम। स्ट्रोक से मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं। क्योंकि यह उस विशिष्ट हिस्से को प्रभावित करता है। सेरेब्रम मस्तिष्क का एक हिस्सा है। जो मूवमेंट, और संवेदना , भाषण, सोच , दृष्टि और भावनाओं को नियंत्रित रखता है। और यदि मस्तिष्क में स्ट्रोक होता है। तो दृष्टि संख्यात्मक आत्मा देखभाल क्षमता भावात्मक नियंत्रण जैसे कार्य करता है।

स्ट्रोक की जटिलताएं क्या है

स्ट्रोक एक ऐसी स्थित है। जहां मानव शरीर का मस्तिष्क प्रभावित होता है। और ऐसे ही स्थितियों में ठीक होने के बाद या उसके दौरान भी लोगों को विभिन्न जटिलताओं का अनुभव करना पड़ता है। स्ट्रोक श्वसन प्रणाली की समस्याएं जैसे निगलने में समस्या, मूत्र पथ के संक्रमण, मूत्राशय में दिक्कत , दौरे आना शारीरिक बीमारी से मस्तिष्क में सूजन आ जाना ,चलने फिरने में दिक्कत होना लगातार एक बात सोचना, आदि जटिलताएं देखने को मिलती है।

निष्कर्ष

स्ट्रोक एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। कई लोगों को इसके लक्षण दिखने के बाद भी नजर अंदाज करते है। अगर समय पर इसका उपचार नही किया गया तो इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है। स्ट्रोक ज्यादातर मस्तिष्क और हृदय को प्रभावित करता है। हमने आपको स्ट्रोक से जुड़ी पूरी जानकारी आर्टिकल में दी है।

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