हमारे शरीर में सभी अंग महत्वपूर्ण है। इन सभी अंगों में किसी न किसी अंक का कोई न कोई कार्य जरूर होता है। अगर किसी एक अंग में चोट लग जाए या क्षतिग्रस्त हो जाए तो इसका असर सभी अंगों पर धीरे-धीरे होने लगता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें। हमारे शरीर में रीड की हड्डी का बहुत महत्वपूर्ण है। बिना रीढ़ की हड्डी के मनुष्य खड़ा भी नहीं हो सकता। आज हम आपको रीड की हड्डी से जुड़ी एक बीमारी स्लिप डिस्क के बारे में बताएंगे। स्लिप डिस्क क्या होता है। इसके कारण, लक्षण और उपचार संबंधित पूरी जानकारी।

क्या होता है स्लिप डिक्स (What is slip disk)

हमारा रीढ़ की हड्डी में कुल 33 कशेरुका होती हैं। इन हड्डियों को गद्देदार डिस्क द्वारा कुशन किया जाता है। यह डिस्क रबड़ की तरह होती है। जो हमारी रीढ़ की हड्डी को झटकों से बचाती हैं। और उसे लचीला बनाए रखने में मदद करती हैं। हार्ड डिस्क के दो भाग होते हैं । एक आंतरिक भाग जो नरम होता है। दूसरा बाहरी रिंग जो कठोर होता है। जब बाहरी रिंग कमजोर पड़ने लगती है तो आंतरिक रिंग को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाता है। इसी क्षेत्र को स्लिप डिस्क के नाम से जाना जाता है। इसे हर्नियाटेड डिस्क के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह की परेशानी रीड की हड्डी में किसी भी भाग में उत्पन्न हो सकती है। लेकिन आम तौर पर इसका प्रभाव पीठ के निचले हिस्से में देखने को मिलता है।

कैसी होती है स्लिप डिस्क

रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में स्लिप डिस्क हो सकती है। लेकिन इनकी सबसे अधिक समस्या पीठ के निचले हिस्से को प्रभावित करती है। इसकी समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र खासकर 35 से 50 साल की उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है। लेकिन बदलती लाइफस्टाइल के कारण इस समस्या के शिकार छोटे उम्र के लोग भी हो रहे हैं। इसके अलावा स्लिप डिस्क की समस्या महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक जोखिम लगभग दोगुना होता है। साथ ही वजन बढ़ने के साथ जोखिम के कई गुना बढ़ा सकता है। क्योंकि शरीर को अधिक वजन के शरीर के निचले हिस्से में डिस्क पर अधिक प्रेशर पड़ता है।

स्लिप डिस्क के क्या लक्षण (Symptoms of Slip disk in Hindi)

  • शरीर के एक या दोनों तरफ के हिस्से में दर्द होना
  • शरीर के एक या दोनों हिस्से में कमजोरी होना
  • एक हाथ ,पैर में दर्द होना
  • खड़े होने, बैठने में अधिक दर्द होना
  • चलने फिरने पर शरीर के निचले हिस्से पर दर्द होना
  • अंग में झुनझुनी होना
  • जलन होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी आना
  • चलने फिरने में दर्द होना
  • चक्कर आना

स्लिप डिस्क होने के क्या कारण है

ऐसा कहा जाता है कि भी हड्डियां या डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती हैं । इसका यह मतलब होता है कि यह डिस्क अपनी सामान्य सीमाओं से आगे बढ़ चुकी हैं। साथ ही यह फूल जाती हैं । इंटेक्स के बाहरी दीवार में किसी तरह की दरारें और छेद होने लगता है। जिससे इसमें मौजूद द्रव जिसे न्यूक्लियस को कहते हैं ।इसका रिसाव होने लगता है। जिसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी में होना लाजमी है। यह द्रव नजदीकी तंत्रिका तंत्र में होता है। इसकी कमी के कारण एक हाथ पैर में कमजोरी आती है ।और लगातार झुनझुनी बनी रहती है यह दोनों हाथ पैरों में भी हो सकती है।

स्लिप डिस्क से बचाव कैसे करे?

  • जब भी वजन उठाएं सावधानीपूर्वक उठाएं।
  • अधिक भारी वजन उठाने के लिए पीठ के बल उठने के बजाय घुटने को मोड़कर वजन उठाएं।
  • अपने शरीर का वजन सामान्य रखें ।शरीर का अधिक वजन होने से स्लिप डिस्क की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • जितना हो सके नियमित तौर पर व्यायाम करें। अपनी मांसपेशियों को मजबूती बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम पर खासतौर पर ध्यान दें।
  • व्यायाम के साथ यह जरूरी है कि आपका भोजन को संतुलित और पौष्टिक रखें। स्लिप डिस्क के जोखिम को कम करने के लिए ऐसे आहार लें। जिसमें विटामिन सी, डी प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा हो।
  • मौसमी सब्जियों और फलों का सेवन करें।
  • ज्यादा देर तक एक ही पोजीशन पर ना बैठे। अगर आप कंप्यूटर के सामने बैठे हैं।तो कोशिश करें थोड़ी थोड़ी देर में उठकर खड़े हो और स्टिचिंग करें।
  • सोते समय ऐसे गद्दे और बिस्तर चुने जो अपनी पीठ को सही स्थिति में रखें।
  • महिला ऊंची हील सैंडल , फ्लैट चप्पल पहनने से बचें। हाई हील्स के फुटवियर पहनने के कारण कमर दर्द में शिकायत बनी रहती है और इससे रीढ़ की हड्डी में तनाव बढ़ता है।

स्लिप डिस्क की जांच कैसे होती है

स्लिप डिस्क है या नहीं इसका पता लगाने के लिए मुख्य रूप से ये टेस्ट किये जाते हैं।

फिजिकल टेस्ट

इस टेस्ट के दौरान डॉ आपको चलने फिरने दौड़ने के लिए बोल सकते हैं। ऐसा इसलिए ताकि आपकी सामान्य गतिविधि के दौरान शरीर की स्थिति पता लग जाए।

एक्स-रे

अगर रीढ़ की हड्डी में चोट लगी है तो डॉक्टर एक्स रे माध्यम से पता लगा सकते हैं।

एम आर आई

अगर यह मालूम पड़ जाता है। कि यह डिस्क अपनी जगह से खिसकी है या नहीं फिर यह जांच हो सकती है कि तंत्रिका तंत्र को किस रूप से प्रभावित कर रही है।

सिटी स्कैन

अगर इसमें कोई चोट लगी है उसके आकार या दिशा में कोई फर्क आया है तो सिटी स्कैन के माध्यम से देखा जाता है।

मायलोग्राम

यह एक ऐसा टेस्ट है ।जिसमें रीढ़ की हड्डी के भीतर एक तरल रूपी डाई इंजेक्ट किया जाता है। उसे इंजेक्ट करने के बाद एक्सरे किया जाता है। उसे पता लगाया जाता है की रीढ़ की हड्डी की नसों पर किस तरह प्रभाव पड़ रहा है।

स्लिप डिस्क का इलाज क्या है

स्लिप डिस्क का इलाज के लिए निम्न तरीके शामिल है।

  • फिजियोथेरेपी के माध्यम से स्लिप डिस्क के दर्द को कम किया जा सकता है।
  • स्लिप डिस्क की समस्या होने पर मांसपेशियों के खिंचाव को दूर करने के लिए दवाइयों का इस्तेमाल लाभदायक है।
  • स्लिप डिस्क में अधिक समस्या होने पर या गंभीर समस्या होने पर ओपन सर्जरी की जाती है जिसे माइक्रोडिसेक्टोमी कहा जाता है।
  • स्लिप डिस्क की शिकायत गंभीर है तो मिनिमली इनवेसिव सर्जरी भी स्लिप डिस्क के रूप में की जाती है।
  • स्लिप डिस्क के इलाज के लिए योगासन बहुत लाभदायक होता है।
  • स्लिप डिस्क इलाज के लिए आप नियमित तौर पर एक्सरसाइज कर सकते हैं।
  • इसका उपचार ओजोन थेरेपी द्वारा भी किया जाता है इसमें तुरंत आराम मिलता है।

स्लिप डिस्क कितने चरणों में होती है

स्लिप डिस्क समस्या में चार चरण होते है।

पहला चरण

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे ही लोगों की डिस्क में डिहाइड्रेशन की समस्या देखने को मिलती है। ऐसा होने पर डिस्क में लचीलापन कम हो जाता है। और डिस्क कमजोर होने लगती है।

दूसरा चरण

बढ़ती उम्र के दौरान डिस्क में रेशेदार परतों के बीच दरार आने लगती हैं। ऐसी स्थिति में उनका भीतरीय द्रव बाहर आ जाता है।

तीसरा चरण

तीसरे चरण में न्यूक्लियस को एक भाग टूट सकता है।

चौथा चरण

इस चरण में डिस्क के भीतर का द्रव न्यूक्लियस पल्पोज़स जो बाहर आना शुरू हो जाता है। इसके बावजूद रीड की हड्डी में रिसाव होने लगता है।

स्लिप डिस्क कितने प्रकार की होती है (Types of Slip Disk in Hindi)

सर्वाइकल स्लिप डिस्क

यह गर्दन में होता है। और गर्दन में दर्द के प्रमुख कारणों में से एक है। गर्दन के साथ कंधे की हड्डी ,हाथ और सिर के पिछले भाग में दर्द होता है।

लंबर डिस्क स्लिप

यह स्लिप डिस्क रीड की हड्डी के निचले भाग में होती है। और इसकी वजह से पेट के निचले हिस्से डिस्क चली जाती है। इसलिए पैर और हाथ की उंगलियों में दर्द होता है।

थोरेसिक डिस्क स्लिप

यह तब होती है जब रीड की हड्डी के पीछे के हिस्से के आसपास दबाव पड़ता है। स्लिप डिस्क का यह प्रकार कंधे और पीठ के बीच में दर्द उत्पन्न कर देता है ।इसके साथ ही कभी दर्द सिर्फ स्लिप डिस्क से जगह होते हुए लेकर हाथ पैर पंजों पर चला जाता है।

स्लिप डिस्क की समस्या होने पर बचाव के लिए क्या खाना चाहिए

स्लिप डिस्क की समस्या होने पर विटामिन सी ,विटामिन डी ,विटामिन ई जैसे पदार्थ का सेवन करना चाहिए।

  • ऐसी समस्या होने पर कैल्शियम, हरी सब्जियां और मौसमी फल खाने चाहिए।

स्लिप डिक्स होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं

स्लिप डिस्क एक गंभीर समस्या है यह रीड की हड्डी में आई कमजोरी के कारण होता है। इसलिए जब भी आपको स्लिप डिस्क के सामान्य लक्षण दिखे तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाएं घरेलू उपचार से दूर रहें यह गंभीर बीमारी है।

निष्कर्ष

दोस्तों हमने आपको स्लिप डिस्क के बारे में पूरी जानकारी इस आर्टिकल में बताई है। स्लिप डिस्क होने पर आप लापरवाही ना करें। थोड़ी सी लापरवाही घातक हो सकती है।

Hindi Mail

View all posts

Add comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *