जीवन में कुछ लोग ऐसे होते हैं। जिन्हे कुछ बीमारियों के लक्षण शुरुआती समय में ही नजर आ जाते है। लेकिन कुछ रोगों के लक्षण कई सालों बाद नजर आते हैं। ऐसे रोग धीरे-धीरे एक गंभीर बीमारी के रूप में पनपने लगता है। और आगे चलकर यह बीमारी लाइलाज बीमारी बन जाती है। दोस्तों अगर बीमारी की सही समय पर पहचान कर ली जाए तो हम उस बीमारी से निजात पा सकते हैं। फाइलेरिया उन्हीं बीमारियों में से एक है। जो शुरुआत में तो नहीं पता चलती लेकिन इसके लक्षण 5 से 6 सालों बाद पता लगते है। आज हम इसी फाइलेरिया संबंधित रोग की विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
फाइलेरिया क्या होता है (Filaria in hindi)
फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है। जिसे हम सामान्य भाषा में हाथीपांव भी कहते हैं। फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है। मगर इसके लक्षण 7 से 8 सालों बाद ही दिखाई देते हैं। फाइलेरिया एक पैरासाइट डिसीज है। यह बीमारी निमेटोड कीड़ों के कारण होती है। यह कीड़ा धागे के समान दिखाई देता है। इस परजीवी मच्छरों की कुछ प्रजातियां ऐसी है। जो खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इस बीमारी को फाइलेरिया कहते हैं। फाइलेरिया दुनियाभर में विकलांगता को बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग माना जाता है। यह कीड़ा ज्यादातर हाथ और पैरों पर ही काटता है। भारत में हर साल करोड़ों लोग फाइलेरिया रोग से पीड़ित होते हैं।
फाइलेरिया कितने प्रकार का होता है (Types of Filaria)
मुख्यतः फाइलेरिया तीन प्रकार का होता है जो निम्न हैं
लिंफेटिक फाइलेरिया
लिंफेटिक फाइलेरिया हाथी पांव का सबसे आम प्रकार है। फाइलेरिया का यह प्रकार विकुरेरिया, बैनक्रॉफ्टी, ब्रुगिया मलाई और ब्रूगिया टिमोरी परजीवी की वजह से होता है। यह कीड़े लिंफनोड सहित लसीका प्रणाली को प्रभावित करते हैं। लिंफेटिक फाइलेरिया को एलिफेंटाइसिस के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार का रोग कम घातक होता है।
सबक्यूटेनियस फाइलेरियासिस
यह फाइलेरियासिस लोआ मैननसलेला , स्ट्रेपटोसेरका, नामक परजीवी कारण होता है। फाइलेरिया का यह प्रकार मुख्यता त्वचा की निचली परत को प्रभावित करता है।
सीरस कैविटी फाइलेरिया
सीरस कैविटी फाइलेरिया भी फाइलेरिया के प्रकार की श्रेणी में आता है। जो कि सबसे दुर्लभ होता है। यह अधिक घातक नही होता।
फाइलेरिया रोग कितना गंभीर है
फाइलेरिया रोग कई तरह से गंभीर है। पहला यह कि इसका कोई मौजूदा इलाज नहीं है। और दूसरा इसके प्रकार। लेकिन अगर फाइलेरिया रोग के सबसे गंभीर रोग को देखा जाए तो यह निश्चित ही इससे होने वाली कुरूपता है। इस रोग की वजह से व्यक्ति के पांव और अन्य अंग प्रभावित होते हैं। जिसकी वजह से शरीर को शारीरिक और मानसिक दोनों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस कीड़े के काटने से रोगी का पांव धीरे-धीरे फूलने लगता है। अगर हाथ में इस कीड़े ने काटा है। तो हाथ भी उसी प्रकार फूलने लगता है। साथ ही कुछ समय बाद इस फूले हुए हिस्से में मवाद भर जाता है। और धीरे-धीरे हाथी नुमा पैर हो जाता है। जिसके बाद कई बार सही समय पर इलाज न मिलने के कारण इसके गंभीर परिणाम इस प्रकार होते हैं कि पैर सड़ने लगता है और ऑपरेशन के दौरान पैर को काटना पड़ता है।
फाइलेरिया होने के क्या कारण है( Causes of Filaria)
फाइलेरिया निमेटोड परजीवी की वजह से होता है। निमेटोड परजीवी मच्छरों और अन्य खून पीने वाले कीड़े व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं। और फिर इनके काटने से मलेरिया हो जाता है। इन परजीवी के नाम निम्न लिखित है।
- बैनक्राफ्टी
- ब्रूगिया मलाई
- ब्रूगिया टिमोरी
- मैंसोनेला
- ऑनकोसेरका
फाइलेरिया के लक्षण क्या है (Filaria symptoms in hindi)
- बार बार बुखार आना
- जननांगों और स्तनों में सूजन होना
- हाइड्रोसील अंडकोष में सूजन होना
- त्वचा में जलन होना
- त्वचा धीरे-धीरे सिकुड़ना
- हाथ और पैरों में सूजन होना
- सूखी त्वचा होना
- त्वचा का सामान से अधिक मोटा होना
- छाले पड़ना
- त्वचा का रंग बदलना
फाइलेरिया का निदान कैसे किया जाता है
फाइलेरिया का निदान करने के लिए निम्नलिखित जांच करवाई जाती है।
माइक्रो फाइलेरिया रक्त जांच
रोगी के रक्त में माइक्रोफाइलेरिया है या नहीं इसे देखने के लिए रक्त की सूक्ष्म जांच की जाती है। यह जांच के लिए रक्त का नमूना केवल रात के समय ही लिया जाता है। क्योंकि लिम्फनोट फाइलेरिया का कारण होता है। वो रक्त को रात में प्रसार करता है।
इम्यूनो डायग्नोस्टिक टेस्ट
इस जांच में रक्त में यह देखा जाता है कि रक्त में एंटीबॉडी सिस्टम है की नही। मतलब रक्त में परिसंचरण करने वाला प्रतीजन है अथवा नहीं।
फाइलेरिया से बचाव कैसे करें
- शाम के वक्त घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर ही निकलें।
- रोजाना सोने से पहले मच्छरदानी लगाएं।
- घर में मच्छर भागने वाली लिक्विड दवाओं का उपयोग करें।
- बीच-बीच में बॉडी चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाएं।
- अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं। जहां फाइलेरिया होने की आशंका ज्यादा है। तो मच्छरों और अन्य कीटो se जितना हो सके उतना बचकर रहें।
- मच्छरों से बचाव के लिए हमेशा पूरे कपड़े पहने और बॉडी पर क्रीम लगाएं।
- अगर महिलाओ को अपने स्तन में बदलाव और दर्द हो रहा है तो डॉक्टर को दिखाएं ।
फाइलेरिया इलाज क्या है (How to cure filaria in hindi)
एंटी पैरासिटिक उपचार
जैसा कि हमने आपको बताया कि फाइलेरिया निमेटोड कीड़े के काटने से होता है। और इसे दवाओं के जरिए खत्म किया जा सकता है। ऐसी दवाएं जो निम्न प्रकार है। एल्बेंडाजोल , आईवरमेक्टीन ,डॉक्सीरायक्लिन आदि।
सर्जरी द्वारा
कुछ मामलों में फाइलेरिया का इलाज सर्जरी से भी किया जाता है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है। और गंभीर हो चुकी हैं। पैर से मवाद निकल रहा है। और पैर सड़ गया है तो सर्जरी ही अंतिम विकल्प होता है।
होम्योपैथिक द्वारा
कई बार एलोपैथिक दवाई खाने से फाइलेरिया बीमारी से राहत नहीं मिलती है। इसलिए होम्योपैथिक इलाज भी इस बीमारी में कारगर साबित होता है। ऐसे बहुत से केस हैं जिनमें होम्योपैथिक दवाओं की लगातार सेवन से फाइलेरिया ठीक हुआ है।
आयुर्वेदिक दवा
आयुर्वेदिक सदियों पुराना इलाज का प्रकार है। जिसमें नामुमकिन रोग भी ठीक हो जाता है। इसलिए आयुर्वेदिक का इस्तेमाल किसी भी बीमारी पर किया जा सकता है। बशर्ते उसका सही प्रकरण और सही चुनाव होना चाहिए। आप आयुर्वेदिक से भी इलाज कर सकते हैं जो इस प्रकार है।
आंवला
फाइलेरिया होने पर आंवले का सेवन करना फायदेमंद है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है। इसके अलावा इसके अंदर एंथेल मेंथिक होता है जो घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।
काली अखरोट का तेल
अखरोट के अंदर खून साफ करने और खून में मौजूद परजीवी जीवों को खत्म करने की ताकत होती है। ऐसे में फाइलेरिया से बचाव के लिए काले अखरोट के तेल का उपयोग कर सकते हैं। एक कप गर्म पानी में तीन से चार बूंद डालकर रोग स्थित जगह पर लगाएं। इससे खून में मौजूद परजीवियों की संख्या कम होने लगती है।
अदरक
फलेरिया से निजात के लिए सूखे अदरक का पाउडर या सोंठ को रोजाना गर्म पानी के साथ सेवन करना चाहिए । इसके सेवन से शरीर में मौजूद परजीवी नष्ट हो जाते हैं।
बेलपत्र के पत्रों का लेप
धार्मिक रूप से बेलपत्र का पेड़ भारत में काफी महत्व रखता है। वहीं यह औषधि के रूप में काफी खास है। बेलपत्र के पत्तों पर बने लेप की मदद से शरीर में आए किसी भी सूजन से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए आपको बेलपत्र के पत्तों का साफ करके से कूट लें। और हल्का गर्म करके लगा ले।
अश्वगंधा
अश्वगंधा सबसे ताकतवर औषधियों में से एक है । यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए काफी मददगार होता है। फाइलेरिया होने पर कमजोर हो चुके इम्यून सिस्टम को अश्वगंधा का सेवन करने से रोगी राहत मिलती है।
शंखपुष्पी
मलेरिया के उपचार के लिए शंखपुष्पी की जड़ को गर्म पानी के साथ पीसकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे सूजन कम होने लगेगी।
कुल्ठी
कुल्टी या हॉर्स ग्राम में चीटियों द्वारा निकाली गई मिट्टी और अंडे की सफेदी मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। इस लेप को प्रतिदिन लगाने से सूजन कम होगी। और आराम मिलेगा।
फाइलेरिया में क्या करें क्या ना करें (What
- जितना हो सके व्यायाम करें l रोजाना सुबह शाम तो जरूर करें।
- एक मुलायम और साफ कपड़े से अपने पैर को थोड़ी थोड़ी देर में पोछते रहें।
- हमेशा पैरों को रगड़ कर साफ़ करने से परहेज करें।
- पैरो को बराबर रखकर आराम से मुद्रा पर रखें।
- पट्टे वाला ढीला चप्पल पहने के साथ सूजन वाली जगह को हमेशा चोट से बचाएं।
- फटे गांव को खोजना खोजना है पर दिन दवा लेप लगाएं।
- अधिक टाइट पैंट ना पहनें।
- पैर को ज्यादातर खुली हवा में रखें। फाइलेरिया होने पर क्या खाना चाहिए
फाइलेरिया होने पर रोगी को मौसमी और लोकल की सलाह दी जाती है। इसलिए ऐसी चीज का सेवन ना करें। जिससे सूजन बढ़ जाए। अपने खाने में लहसुन ,अनानास , मीठे आलू ,शकरकंदी ,गाजर और खुबानी आदि शामिल करें। इसमें विटामिन ए होता है। और बैक्टीरिया को मारने के लिए विशेष गुण होते हैं।
निष्कर्ष
फाइलेरिया एक संक्रामक रोग है। जो ज्यादातर बचपन में होता है। और कई सालों बाद इसका असर होना शुरू होता है। फाइलेरिया का इलाज समय रहते कराया जा सकता है। आप फाइलेरिया के उपचार के लिए एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक इलाज का सहारा ले सकते है। हमने आपको इस आर्टिकल में फाइलेरिया से जुड़ी हुई हर बात बताई है। उम्मीद है आपको आर्टिकल पसंद आया होगा।
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