Dysentery in Hindi: पेट को लेकर एक बात हमेशा कही जाती है। पेट सफा तो हर रोग दफा। हमारे जीवन में पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य से लेकर गंभीर रूप में भी सामने आती हैं। जिसमें एक नाम पेचिश का भी शामिल है। देखा गया है कि जानकारी के अभाव में कई लोग इसे सामान्य दस्त ही समझ लेते हैं। यही वजह है कि कुछ दिन बाद यह एक गंभीर बीमारी बन जाती है। आज हम आपको इस लेख में पेचिश से जुड़ी पूरी जानकारी बताएंगे।
पेचिश क्या है (Dysentery in Hindi)
पेचिश एक संक्रामक बीमारी है। जो मनुष्य की आंतो में होता है। यह व्यक्ति के मल त्याग करते समय रक्त और बलगम का कारण बनता है। पेचिश का कारण बनने का वाले बैक्टीरिया शिगेला और एंटेमीबा होते हैं। पेचिश (Dysentery) का पहला लक्षण एक दिन में 3 से 8 बार नरम और असमान्य मल आना है। जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है। आपके पेट में तेज दर्द होने लगता है। कई बार पेचिश इतनी गंभीर हो जाती है कि 1 दिन में 100 से अधिक बार आपको मल त्याग करना पड़ता है।
पेचिश के प्रकार (Types of Dysentery in Hindi)
पेचिश दो प्रकार की होती है। जैसे अमीबिक और बेसिलेरी पेचिश। ये बैक्टीरिया प्रत्येक व्यक्ति पर अपना प्रभाव डालता है।
अमीबिक पेचिश
अमिबिक पेचिश आमतौर पर नशीले भोजन या दूषित पानी के सेवन से होता है। और इसके लक्षण बहुत दर्दनाक हो सकते हैं। अमीबिक पेचिश होने का निम्न कारण है। पेट में तेज दर्द होना ,मतली आना ,उल्टी होना, बलगम के साथ खून होना ,मल में खून आना ,थकान होना, आलस होना मल टाइट आना आदि।
बेसिलेरी पेचिश
बेसिलेरी पेचिश बहुत खतरनाक होता है। और यह 1 से लेकर 3 दिन में घातक हो जाता है। जब कोई व्यक्ति इससे संक्रमित होता है। तो बेसिलेरी पेचिश का लक्षण इस प्रकार नजर आते है। मोशन पास करते समय खून आना, पेट में तेज दर्द होना, तेज बुखार आना ,उल्टी आना ,1 दिन में 100 से अधिक बार मल आना आदि।
पेचिश के क्या कारण है (Cause of Dysentery in Hindi)
पेचिस आमतौर पर शिगेला, ई,कोलाई , कैंपिलोबैक्टर और सालमोनेला जैसे जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। यह विभिन्न हानिकारक बैक्टीरिया है। जो आपकी आंतो में पाए जाते हैं। और भीतर से तेजी से फैल जाते हैं। यह बैक्टीरिया हर देश में अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए शिगेलोसिस वह बैक्टीरिया है। जो ज्यादातर अमेरिकी व्यक्तियों को प्रभावित करता है। कुछ ऐसे बैक्टीरिया है। जो अन्य देशों में अलग अलग पाए जाते है। भारत सहित अधिकांश दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पेचिश का कारण पेट में कीड़े होने लगते हैं। साथ ही रासायनिक अड़चन होने लगती है। इससे व्यक्ति की गुदामैथुन फैल जाती है।
पेचिश के लक्षण (Dysentery Symptoms in Hindi )
आप विभिन्न लक्षणों से पेचिश की पहचान कर सकते हैं। जो रोग को अलग करने में मदद करते हैं। हालांकि लक्षण हल्के से गंभीर और भिन्न होते हैं। यह रोग ज्यादातर आस्वच्छता की स्वच्छता के कारण होता है। पेचिश के लक्षण हल्के और घातक दोनों दिखाई देते हैं। जो निम्न है।
- पेट में दर्द होना ऐंठन होना
- दस्त आना
- भूख की कमी होना
- तेज बुखार होना
- 100 डिग्री से अधिक बुखार होना
- धीरे से छूने पर भी पेट में दर्द होना
- पेट फूलना
- लगातार मल त्याग करना
- हताश हो जाना
- वजन घटना
- सिर दर्द होना
- सीने में जलन होना
- पीठ दर्द होना
पेचिश की घरेलू उपचार क्या है
पेचिश का प्राथमिक कारण खराब स्वच्छता है। पेचिश के इलाज के लिए घरेलू उपचार निम्न है।
- छाछ में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें।
- दिन में कम से कम 2 गिलास ताजा संतरे का जूस पिए।
- अनार के छिलके से मिल्कशेक बनाएं और नियमित सेवन करें।
- नींबू का रस पिएं।
- केला खूब खाएं क्योंकि यह नरम और सामान्य मल त्याग करने में मदद करेगा।
- दूध शहद और नींबू के को एक साथ मिलाकर सेवन करें।
- काली चाय पिएं।
- अपने हाथों को हमेशा साबुन से धोएं ।
- हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें।
- शौचालय का उपयोग करने के बाद सुनिश्चित करें हैंडवाश का उपयोग किया कि नहीं।
- मिनरल वाटर पिएं। या फिर पानी को कम से कम 10 से 15 मिनट उबालकर पिएं।
- इसके अलावा सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह अच्छी तरह पका हुआ है कि नहीं।
- अपने आसपास की जगह को साफ रखें
- खाना खाने से पहले हाथ धोए।
- बीच-बीच में मेडिकल टेस्ट कराएं।
- फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।
- जरूरत से ज्यादा खाना ना खाएं।
- बासी खाना खाने से बचें।
पेचिश का इलाज क्या है (Dysentery treatment in Hindi)
W.H.O द्वारा पेचिश (Dysentery) और दस्त के लक्षण को कम करने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाई के बारे में बताया गया है जो इस प्रकार है।
- सिप्रोफ्लोकसासिन
- सिफ्री आक्सोन
- पिवमेसिलिनम
पेचिश होने पर क्या खाना चाहिए
पेचिश होने पर कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से रोग को रोका जा सकता है। जल्दी स्वस्थ होने के लिए आपको नरम और आसानी से पचने वाले खाद पदार्थ खाने चाहिए। जैसे पानी वाली दाल, दही, सेब ,केला , सादा सलाद, उबली हुई सब्जियां, भात, जैम, सूप और नींबू का सेवन करना चाहिए। ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पेचिश को नियंत्रण में रहता है। ज्यादा गंभीर समस्या होने पर इसके डॉक्टर की सलाह लें।
पेचिश होने पर क्या परहेज करना चाहिए
- डेयरी उत्पादों जैसे वसा वाले दूध ,भारी क्रीम ,मक्खन आइसक्रीम आदि से दूरी बनाएं।
- मसालेदार खाद पदार्थ , अधिक तला हुआ भोजन, तेल और चिकना व्यंजन खाने से बचें।
- मैदा जैसे पास्ता और पिज्जा से बने प्रोस्टेट खाद पदार्थ केक, पेस्ट्री , स्कोन, डोनस्ट जैसी उचित चीनी सामग्री वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
- उच्च फाइबर वाले खट्टे फल से दूर रहें । ये पेचिश के प्रभाव को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं।
- रेड मीट और कच्ची सब्जियां पेचिश के लक्षणों को बढ़ा सकती हैं।
मादक पेय , उच्च कैफिन सामग्री वाले पेय पदार्थ जैसे कॉफी, दूध की चाय, कैफीन युक्त पेय पदार्थ के सेवन से दूरी बनाए।
- मेवे, मल्टीग्रेन ब्रेड, अनाज ,बीन्स , ब्रोकली ,मटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी जैसी सब्जियों के सेवन से बचें।
पेचिश होने के कारण होने वाली जटिलताएं क्या है
यदि पेचिश का इलाज सही समय पर नहीं किया जाता है। तो यह और जटिलताएं पैदा कर सकता है ।और घातक हो सकता है। आपको ध्यान रखने की जरूरत है कि यह एक छुआछूत की बीमारी है। और यह आसानी से छूने पर भी फैलती है। इसलिए सावधान रहना चाहिए। कुछ कारण निम्न है।
डिहाईड्रेशन
जब भी किसी व्यक्ति को डिहाईड्रेशन होता है। तो उसे उल्टी ,डारिया हो जाता है। और अगर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ऐसा होता है तो यह जानलेवा हो सकता है।
पोस्टिनफेक्टियस अर्थराइट्स
पेचिश के कारण कई बार व्यक्ति को पोस्टिनफेक्टियस अर्थराइट्स हो जाता है। और इस बीमारी के कारण होने वाला दर्द विशेष रूप से जोड़ों में होता है।
हेमोलिटिक
पेचिश के लिए जिम्मेदार शिगेला बैक्टीरिया, हेमॉलिटिक यूरिमिक सिंड्रोम की अहम भूमिका होती है। यह बैक्टिरिया लाल रक्त कोशिकाओं को अपने गुर्दे में प्रवेश करने से रोकता है। इससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
क्या पेचिश संक्रामक रोग है?
जी हां, जैसे कि हमने ऊपर बताया है कि पेचिश बैक्टीरिया और परजीवी कारण होता है। यह बैक्टीरिया परजीवी दूषित मल के साथ संक्रमित व्यक्ति के जरिए एक स्वस्थ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
क्या पेचिश के कारण जान जा सकती है?
जी हां, सही समय के अभाव पर अगर कोई व्यक्ति पेचिश का इलाज नहीं करा रहा तो इससे मौत हो सकती है। क्योंकि पेचिश से पेट में अल्सर होने लगता है।
पेचिश और दस्त के बीच क्या अंतर है।
दस्त में मल पानी की तरह निकलता है। वहीं पर पेचिश में मल के साथ खून निकलता है।
पेचिश संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति को क्या नहीं खाना चाहिए।
आपको हमने उपर बताया है कि पेचिश होने पर क्या परहेज करें । उस जानकारी को अच्छी तरह पढ़िए।
निष्कर्ष (Dysentery in Hindi )
दोस्तों पेचिश एक संक्रामक बीमारी है। यह गंभीर तो नही है। लेकिन उचित समय पर इलाज नही कराया गया तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है। पेचिश रोग को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर समस्या अधिक है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर को दिखाएं ।
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