डेंगू एक जानलेवा बीमारी है। दुनियाभर के देशों में सामान्य रूप से डेंगू का विस्तार बहुत तेजी से हुआ है। हर साल दुनिया की 40% आबादी लगभग 3 अरब लोग डेंगू की चपेट में आते हैं। भारत में यह बीमारी बरसात के मौसम में शुरू होती है। और मौसम के अंत तक बनी रहती है। भारत में डेंगू से हर साल लाखों की संख्या में लोग जान गंवाते है। डेंगू के प्रति लोग पूरी तरह से सीरियस नहीं होते है। शुरुआती क्षणों में आने वाले बुखार को नजरअंदाज कर देना सबसे बड़ी गलती होती है। भारत में डेंगू का पहला केस 1956 में तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में मिला था। इसके बाद डेंगू ने पहला बड़ा हमला 1963 में बंगाल में किया। जहां से यह बीमारी रफ्तार के साथ बढ़ती गई। इसके बाद1996 में दिल्ली में अपना कहर बरपाया। इस दौरान 10,252 डेंगू के मामले सामने आए थे । जिसमे सैकड़ों की संख्या में लोग मरे थे। लेकिन आज की स्थिति में डेंगू समूचे भारत में पैर पसार चुका है। आज हम आपको बताएंगे कि डेंगू क्या होता है, कैसे होता है ,क्यों होता है। इसके इलाज ,कारण और उपचार की विस्तृत जानकारी देंगे।

डेंगू क्या है (Dengue in Hindi)

डेंगू एक वायरल बीमारी है। जो एक खास प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू वायरस मुख्य रूप से एडीज एजिप्ट प्रकार के मादा मच्छर द्वारा काटने से फैलता है। और कुछ हद तक एई अल्बोपेप्तिक से भी फैलता है। यह मच्छर चिकनगुनिया ,येलो फीवर और जीका वायरस के भी वाहक है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। क्योंकि इसमें हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है। और कई दिनों तक बना रहता है। कम फीसदी में डेंगू बुखार वाले लोगों को डेंगू रक्त स्त्राव बुखार नामक बीमारी का एक अधिक गंभीर रूप से विकसित कर सकता है। जब कोई एडिज एजिप्ट मच्छर डेंगू वायरस से पीड़ित व्यक्ति को काटता है। तो उस व्यक्ति का खून मच्छर में चला जाता है। उसी तरह जैसे ही मच्छर किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है। तो उसके शरीर से वायरस निकलकर दूसरे व्यक्ति में चला जाता है। यह सिलसिला जारी रहता है। इसलिए बहुत से लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं।

डेंगू के लक्षण (Dengue Symptoms in Hindi)

डेंगू हल्का और गंभीर दोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते। लेकिन संक्रमित होने के बाद डेंगू के लक्षण 4 से 7 दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में तेज बुखार लगभग 104 डिग्री फॉरेनहाइट के अलावा यह लक्षण भी नजर आते है। जो निम्न प्रकार है।

  • सिर दर्द होना
  • मांसपेशियां दर्द करना
  • हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना
  • उल्टी आना
  • जी मिचलाना
  • आंखों में दर्द होना
  • लाल चकत्ते होना
  • गलैंड्स में सूजन होना
  • गंभीर पेट दर्द होना
  • लगातार उल्टी आना
  • मसूड़ो, नाक ,मल, मूत्र से खून आना
  • सांस लेने में दिक्कत होना
  • थकान महसूस होना
  • बेचैनी होना

डेंगू होने के क्या कारण है(Dengue Causes in Hindi)

डेंगू के विभिन्न कारण है।

यदि आप डेंगू पीड़ित क्षेत्र में रहते हैं। जहां एडीज मच्छरों का प्रकोप अधिक है। तो आपको डेंगू के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। पहले से डेंगू संक्रमण होने से भी दोबारा डेंगू होने के चांसेस रहते हैं। जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है। उनमें इस वायरल संक्रमण से प्रतिरक्षा नही हो पाती। तो ऐसे में जब आपको दूसरी बार डेंगू होता है। तो अधिक गंभीर रूप से संभावना बढ़ जाती है। साथ ही मधुमेह, फेफड़े के रोग , और ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों में भी डेंगू होने की आशंका बढ़ जाती है। लो प्ले रेट्स कमजोर होना इस बात का दर्शाता है कि जिन लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। उनमें डेंगू की संभावना अधिक होती है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति मधुमेह की बीमारी से पीड़ित है। तो उसे भी डेंगू होने की आशंका बढ़ जाती है लो क्योंकि शरीर में रक्त तेजी से स्त्राव क्रिया करता है।

डेंगू बुखार के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies For Dengue in Hindi)

आप इन उपायों द्वारा डेंगू के घरेलू उपचार से बच सकते है।जो निम्न है।

गिलोय

गिलोय बुखार के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने और शरीर की संक्रमण के विरुद्ध रक्षा करने में मदद करती हैं। गिलोय के तने को उबालकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से बुखार में आराम मिलता है। आप दो से 3 ग्राम गिलोय पीस लें। इसमें से 5 से 6 तुलसी पत्ते मिला लें। और एक गिलास पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर मरीज को पिलाएं। ऐसा कुछ दिन करें मरीज ठीक हो जाएगा।

नीम

नीम के पत्तों का रस पीने से प्लेरेट्स और सफेद रक्त वाहिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार कर सकती हैं। जिससे डेंगू का बुखार चला जाता है।

पपीता

पपीते के पत्ते डेंगू बुखार के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। पपीते में पोषक तत्वों और कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण प्ले रेट्स की संख्या में वृद्धि करता है।

तुलसी

तुलसी के पत्ते डेंगू बुखार में बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। यह शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालते हैं। और प्रत्यक्ष प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। 5 से 7 तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं एक चुटकी काली मिर्च बनाकर रोजाना पिए हैं।

मेथी

मेथी के पत्ते बुखार को कम करते हैं। तथा शरीर में दर्द होने पर भी आराम पहुंचाते हैं। डेंगू बुखार के लक्षण को शांत करने का सबसे अच्छा घरेलू उपाय हैं।

संतरा और जौ

संतरे के रस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी डेंगू बुखार के लक्षण व इलाज करने से वायरस को नष्ट करने के लिए बेहतर माना जाता है। साथ ही जौ घास रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को सही करके शरीर से प्ले रेट्स की संख्या में वृद्धि करने की क्षमता को बढ़ाती है। डेंगू बुखार के समय खून में प्ले रेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती है। इसलिए जौ घास से बना काढ़ा पीने से लाभ मिलता है।

डेंगू बुखार में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए

मच्छर जनित बीमारी के रूप में डेंगू को रोकना उतना ही अच्छा है। जितना कि मच्छरों के काटने को रोकना। डेंगू होने में निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए।

  • व्यक्ति को विशेष रुप से दिन के समय लंबी बाजू की कमीज़ और लंबी पैंट पहने ताकि मच्छर के काटने से खुद को ढक ले। क्योंकि डेंगू का मच्छर सुबह काटता है।
  • कपड़ों को पर्मेथ्रिन जैसे रिपे लेट्स से को ट्रीट करें।
  • यदि आप कहीं मच्छरों वाले क्षेत्र में रहते हैं तो मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • सुनिश्चित करें कि खिड़कियां और दरवाजे बंद जगह में मच्छरों से बचने के लिए बंद है।
  • विशेष रूप से सुबह और शाम मच्छर वाले स्थान पर जाने से बचें।
  • घर में या आसपास गंदा पानी इकट्ठा ना होने दें।
  • घर में कचरा इकट्ठा ना होने दें ठोस कचरे को उचित ढंग से डिस्पोज करें।
  • समय समय पर पानी बदलते रहें।
  • पानी के स्टोर वाले जगह पर अगर 12 घंटे हो गए उसमें कीटनाशक डालें।
  • साफ-सुथरे कपड़े पहनते रहे हैं।

डेंगू के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • डेंगू मानव संपर्क में नहीं फैलता है। बल्कि वाहक मच्छर मादा एडीज मच्छर काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन के समय कटने के लिए जाना जाता है। और काटने के लिए इसके पसंदीदा स्थान कोहनी और घुटने के नीचे होते हैं।
  • डेंगू की पहचान अगर जल्दी हो जाए तो इसका इलाज अच्छे से किया जा सके नहीं तो जानलेवा नहीं है।
  • डेंगू दुनिया के अधिकांश देशों में पाया जाता है। लेकिन यह आमतौर पर ट्रापिकल और सब ट्रापिकल क्षेत्रों में रिपोर्ट किया जाता है। गंभीर डेंगू एशिया और लैटिन अमेरिका में गंभीर बीमारियों और बच्चों की मृत्यु के प्रमुख कारण है।
  • डेंगू रक्त स्रवी बुखार डेंगू वायरस के एक निश्चित प्रकार के कारण होता है यह प्रेडेट्स की संख्या में भारी गिरावट का कारण बनता है। जिसके परिणाम स्वरूप गंभीर रक्तस्राव होता है और रक्तचाप में गिरावट आती है जैसे सदमा और मौत हो सकती है।
  • जब एक गर्भवती महिला डेंगू बुखार से संक्रमित होती है। तो वह प्रसव के दौरान बच्चों को संक्रमण कर सकती है।
  • डेंगू से संक्रमित होने पर रोगी को एस्पिरिन और अन्य दर्द निवारक दवाई नहीं लेनी चाहिए। डेंगू और एस्पिरिन दोनों का प्लेटलेट्स काउंट पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। और इसलिए रक्तस्रवी प्रक्रिया तेज हो जाती है।
  • घर पर डेंगू का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका यही की तापमान बनाए रखें और रोगी को भरपूर पानी और इलेक्ट्रोलाइट तरल पदार्थ देते रहें जिससे मरीज को डीहाईड्रेड रखा जा सके। रोगी को डेंगू से लड़ने के लिए पौष्टिक पदार्थों का सेवन कराएं।

डेंगू के दौरान खानपान और जीवनशैली

  • डेंगू में मरीज मुंह और गला सूख जाता है। इसलिए रोगी को ताजा सूप,जूस और नारियल पानी के सेवन करना चाहिए।
  • नींबू पानी बनाकर पिए। नींबू का रस की वजह से शरीर से गंदगी को पेशाब के द्वारा निकाल दिया जाता है इससे शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है।
  • हर्बल टी से बुखार में आराम मिलता है इसमें अदरक और इलायची डालकर बनाएं।
  • डेंगू के लक्षण आने पर ताजे फल सब्जियों का जूस पिए।इसमें गाजर, खीरा अन्य पत्तेदार सब्जियां बहुत होती हैं। सब्जी में आवश्यक विटामिन और खनिज लवण होते हैं।
  • दलिया का सेवन करें इसमें मौजूद उच्च फाइबर और पोषक तत्व रोगों से लड़ने के लिए पर्याप्त शक्ति देते हैं।
  • डेंगू होने पर पेट की समस्या हो जाती है। इसलिए तेलयुक्त और मसालेदार भोजन ना करें।
  • डेंगू के रोगी को प्रोटीन की बहुत आवश्यकता होती है। इसलिए रोगी को दूध और डेयरी उत्पादों का सेवन करना चाहिए और अधिक पानी पीना चाहिए।

निष्कर्ष

डेंगू एक आम व्यापक बीमारी है। और अक्सर डेंगू के उचित उपचार से कुछ दिन हो ठीक हो जाती है। बीमार ना पड़ने के लिए सभी निवारक उपायों का पालन करना चाहिए और अपने क्षेत्र डेमो हॉटस्पॉट को बढ़ने से रोकना चाहिए। व्यक्ति को उचित दवा लेनी चाहिए और घरेलू उपाय करना चाहिए। और ना ठीक होने पर डॉक्टर से उचित सलाह लेनी चाहिए।

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