Chikungunya in Hindi: चिकनगुनिया एक संक्रामक बीमारी है। यह मच्छरों की वजह से फैलने वाली बीमारी है। चिकनगुनिया ज्यादातर अफ्रीका , एशिया और महाद्वीप देशों में अधिक होती है। हालांकि मच्छरों का प्रकोप दुनिया भर में है। इसलिए यह बीमारी कई देशों में छोटी-छोटी जगह पर कम मात्रा में है। मच्छरों की वजह से पनपने वाली इस बीमारी को मामले में यूरोप और अमेरिका ज्यादा प्रभावित नहीं है। वहीं भारत में चिकनगुनिया का प्रभाव लगभग 33% है। आज हम इस आर्टिकल में आपको चिकनगुनिया से जुड़े रोग के बारे में बताएंगे।

चिकनगुनिया क्या है (Chikungunya in Hindi )

चिकनगुनिया संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्य में फैलता है। जिससे उनके शरीर में बुखार एवं जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है। यह संक्रमित रोग कुछ दिनों के लिए रहता है। बहुत कम मामलों में किसी दुर्लभ व्यक्ति की मृत्यु चिकनगुनिया रोग से होती है। चिकित्सक के अनुसार इसके लक्षण लंबे समय तक रहते हैं। और शरीर को कमजोर बनाते रहते हैं। यह वायरस मरीज के शरीर में ठीक उसी तरह हमला करता है। जिस प्रकार डेंगू के वायरस मरीज के शरीर को अपना असर छोड़ते हैं। यह अलग बात है कि डेंगू के मुकाबले ये कम खतरनाक होता है। यह जानलेवा बुखार नहीं होता। इसके लक्षण इतने गंभीर होते हैं। कि किसी भी व्यक्ति को कमजोर बना सकते हैं। और लंबे समय तक बने रहते हैं। सामान्य तौर पर चिकनगुनिया एक आरएनए वायरस है। यह रोग पहली बार 1952 में अफ्रीका के तंजानिया में फैला था।

चिकनगुनिया के लक्षण क्या है (Symptoms of Chikungunya in Hindi )

  • 104 डिग्री बुखार आना
  • जोड़ों में दर्द होना
  • सूजन होना
  • सर दर्द होना
  • जुखाम होना
  • खांसी होना
  • मांसपेशियों दर्द होना
  • लाल चकत्ते पड़ना
  • जोड़ों के चारों ओर सूजन होना
  • आंखों में दर्द होना
  • कमजोर होना
  • रोशनी से डर लगना
  • नींद ना आना
  • शरीर दर्द होना
  • उल्टी होना
  • जी मिचलाना
  • चक्कर आना
  • लिंफ नोड्स में संवेदनशीलता होना
  • ब्लीडिंग होना

चिकनगुनिया होने के क्या कारण है (Causes of Chikungunya in Hindi )

चिकनगुनिया वायरल इंफेक्शन की वजह से होता है और मच्छरों द्वारा संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्तियों तक इस वायरस का प्रसार होता है। चिकनगुनिया के मच्छर दिन के समय और स्वास्थ्य पानी में पनपता है। साफ सफाई की कमी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से दूषित वाले स्थानों में रहने , वहां की यात्रा करने , कमजोर इम्यून सिस्टम , घर के आसपास सफाई न होना, पानी का अधिक जमा होना , इससे चिकनगुनिया का खतरा बढ़ता है। इसी तरह से अधिक उम्र के लोगों को डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियां होने का खतरा भी अधिक रहता है। चिकनगुनिया वायरस एडीज मच्छर के काटने से ही फैलता है।

चिकनगुनिया का निदान क्या है (diagnosis of Chikungunya in Hindi)

बीमारी का पता लगाने के लिए पहले डेंगू और मलेरिया का टेस्ट करते हैं। फिर चिकनगुनिया का टेस्ट किया जाता है। इस मच्छर जनित बीमारी का पता लगाने के लिए साधारण ब्लड टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा आपको एंजाइम लिंक्ड इम्यूनो सोरबर्न्ट एसेस जैसे अन्य टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है। जिसकी मदद से शरीर में चिकनगुनिया से लड़ने वाली एंटीबॉडीज का पता लगाया जा सकता है। आरटी पीसीआर नामक एक और ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। कभी कभी चिकुनगुनिया का इन्फेक्शन सप्ताह भर के अंदर चला जाता है।

क्या चिकनगुनिया जानलेवा है

ज्यादातर मामलों में यह संक्रमण घातक नहीं होता है। और जो लोग संक्रमित हो जाते हैं। वह अक्सर अपने आप ठीक हो जाते हैं। साथ ही जैसे में एक बार जिस व्यक्ति को चिकनगुनिया हुआ है। उन्हें दोबारा चिकनगुनिया होने की संभावना होती है। जैसे ही आपको इसके लक्षण दिखाई दे। वैसे ही आप इस बीमारी का इलाज कराने के लिए डॉक्टर के पास जरूर जाएं। जिन व्यक्ति को डेंगू और चिकनगुनिया के समान लक्षण दिखाई दें। उन्हे विभिन्न उपचारों में आवश्यकता होती है। आमतौर पर चिकनगुनिया का बुखार घातक नहीं होता। चिकनगुनिया शरीर के लिए दुर्बलता का कारण बनता है।

चिकनगुनिया की रोकथाम और उपचार (Prevention and remedies for Chikungunya in Hindi)

  • चिकनगुनिया बारिश के मौसम में तेजी से पनपता है। इसलिए लापरवाही ना बरतें। अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
  • कूड़ेदान में ज्यादा दिनों तक कूड़ा जमा ना होने दे। साथ ही कूड़ेदान को हमेशा ढक कर रखें और साफ सफाई करते रहे।
  • बाल्टी, कूलर और स्विमिंग पुल को रोजाना पानी से साफ करें और नया पानी भरे।
  • यह बीमारी बच्चों और बड़ों को जल्दी प्रभावित करती है इसलिए बच्चों को पूरी बाजू वाले कपड़े पहनाएं।
  • अगर ज्यादा दिक्कत है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
  • जितना हो सके नदी और स्विमिंग पूल में नहाने से बचें।
  • नींबू नीलगिरी या पीएमडी तेल युक्त उत्पादों का उपयोग करें।
  • एयर कंडीशन का उपयोग करें। यह मच्छरों को कमरे में प्रवेश करने से रोकता है।
  • मच्छर क्वाइल से कीटनाशक वाष्पीकरण का उपयोग करें।
  • अगर आप ऐसे देश की यात्रा कर रहे हैं जहां चिकनगुनिया का प्रकोप है तो सावधानी के साथ रहें। और जरूरी सामान साथ में ले जाएं।
  • चिकनगुनिया से पीड़ित व्यक्ति को तरल पदार्थ समय-समय पर पीना चाहिए।
  • अगर हो सके तो घर के खिड़की के पास तुलसी का पौधा रखें इससे मच्छर अंदर नहीं आते।
  • मच्छर से बचने के लिए सन क्रीम का उपयोग करें।

चिकनगुनिया से बचने के लिए घरेलू उपाय क्या हैं (Home Remedies of Chikungunya in Hindi)

चिकनगुनिया से राहत पाने के लिए घरेलू इलाज भी मददगार है। आप इन तरीको को अपना सकते है।

नियमित रूप से पानी पिएं

चिकनगुनिया होने पर रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी शरीर के सभी विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसलिए चिकनगुनिया से ग्रसित हो गए हैं तो अधिक मात्रा में पानी पिएं और डिहाइड्रेड रहें।

डेयरी प्रोडक्ट

चिकनगुनिया से ग्रसित व्यक्ति को दूध और डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करना चाहिए इससे राहत मिलती है।

अजवाइन

चिकनगुनिया में अजवाइन देने की सलाह दी जाती है। अजवाइन में थाइमोल नामक एक तेल पाया जाता है। जो एनेस्थीसिया की तरह काम करता है। जिसके परिणाम स्वरुप शरीर में दर्द कम हो जाता है।

सूप

सहजन की फलियों का सूप काफी मददगार है। इसे पीने से रोगी को राहत मिलती है। इसके पत्ते भी काफी फायदेमंद होते हैं। सहजन के सेवन से मांसपेशियां मजबूत होती है।

हल्दी

हल्दी हर रोग का रामबाण इलाज है। इसे आप दूध में मिलाकर पी सकते हैं। हल्दी बहुत महत्वपूर्ण है

तुलसी

हम सब अपने घरों में तुलसी का पौधा औषधि के रूप में उपयोग करते हैं। तुलसी हमारे रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।

गिलोय

चिकनगुनिया से राहत पाने के लिए गिलोय स्वरस है या गिलोय कैप्सूल का सेवन करना चाहिए। 1 दिन में 1 ग्राम में डोज पर्याप्त है।

पपीता

सात से आठ ताजे पपीते की पत्तियां लेकर उन्हें धो लें। और उनका पेस्ट बना लें। फिर उस रस को निचोड़ कर 2 से 4 चम्मच और तीन-तीन घंटे में पिलाएं। इससे शरीर में प्लेटलेट तेजी से बढ़ते है।

लहसुन

जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए लहसुन का कोई मुकाबला नहीं है। इसे प्रभावित जगह पर जितना ज्यादा लगाया जाए उतना अच्छा होता है । यह दर्द से राहत दिलाता है । और सूजन को भी कम करता है। साथ ही रक्त संचार को फ्लो करता है। लहसुन की 10 से 12 कालिया लें। और इसका पेस्ट बना लें । और पेस्ट बनाने के बाद जोड़ों के दर्द की जगह लगाएं कुछ घंटे के लिए छोड़ दें। राहत मिलेगी।

चिकनगुनिया होने पर क्या खाना चाहिए क्या नहीं

  • नारियल का पानी पीना चाहिए। इस पानी में पोटेशियम जैसे खनिज होते हैं ।जो चिकनगुनिया के दौरान संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
  • सब्जियों का सूप चिकनगुनिया में बहुत अधिक फायदेमंद होता है। इसलिए चिकनगुनिया में टमाटर का सूप पीना चाहिए।
  • चिकनगुनिया से लड़ने के लिए चावल और मूंग दाल की खिचड़ी बना कर खा सकते हैं।
  • चिकनगुनिया पर हरे पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए। इसमें कैलोरी और आयरन होता है।
  • सेब में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है। और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए चिकनगुनिया रोगी को नियमित रूप से सेब सेब का जूस देना चाहिए।
  • केला बहुत ही फायदेमंद है। क्योंकि केले में फाइबर भी अधिक होता है। इसलिए केले का सेवन इस बीमारी में करते रहना चाहिए। केला पाचन भी ठीक करता है।
  • चिकनगुनिया होने पर हमेशा विटामिन सी युक्त ही पदार्थ खाएं ।इसमें संतरा, नींबू ,तरबूज ब्रोकली ,अमरुद शामिल हैं।
  • चिकनगुनिया से पीड़ित व्यक्ति को सूखे मेवे आदि देने चाहिए जिसमें विटामिन ई होता है।

चिकनगुनिया व्यक्ति को क्या परहेज करना चाहिए

किसी भी बीमारी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। इस बात को रोगियों को ध्यान रखना चाहिए। हालांकि चिकनगुनिया में खाने पीने से किसी प्रकार की यह सलाह नहीं दी जाती है। लेकिन इस बीमारी में साफ सफाई का ध्यान जरूर रखा जाता है। इसलिए चिकनगुनिया में मांसाहारी भोजन खाने की सलाह नहीं दी जाती है। क्योंकि भोजन पचाने में परेशानी होती है। साथ ही अधिक तेल मसाले से संबंधित भोजन ना करें। और बाहर के उत्पादों को ना खाएं । इससे दस्त की समस्या हो सकती है। केक पेस्ट्री आदि का सेवन ना करें।

निष्कर्ष

चिकनगुनिया क्या है कैसे फैलता है और इसे रोकने के लिए किन-किन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। आपने आपको को इस बीमारी से बचाने के लिए क्या उपाय अवश्य करना चाहिए। चिकनगुनिया के समान लक्षण क्या है इससे संबंधित जानकारी आपको इस आर्टिकल में दे दी गई है आप इस आर्टिकल को पढ़े और समझे।

Hindi Mail

View all posts

Add comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *