ब्लड कैंसर क्या होता है जानिए लक्षण कारण और उपचार की विस्तृत जानकारी

यह बात हम सभी जानते हैं कि कैंसर एक लाइलाज बीमारी है। और अगर समय रहते इसका उपचार न किया गया तो इससे व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। लेकिन समय पर अगर इसके लक्षण को पहचान लिया गया तो इस ब्लड कैंसर पर काबू पाया जा सकता है। कैंसर को जानलेवा रोग इसलिए समझा जाता है। क्योंकि शुरुआत में इस रोग का पता नहीं चल पाता और जब पता चलता है। तो इसे रोकने की चुनौती बन जाता है। हमारा ब्लड बहुत सारी सेल्स से मिलकर बना होता है। जिसमें रेड ब्लड सेल्स जो हमारे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने का कार्य करती हैं। सफेद ब्लड सेल्स जो इंफेक्शन से लड़ने का कार्य करती हैं। और प्लेयर से जो ब्लड को जमने में सहायक करते हैं असल में यह सभी स्टेम सेल्स से बने होते हैं। और इनमें इतनी क्षमता होती है कि यह किसी प्रकार की ब्लड सेल्स बना सकते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे ब्लड कैंसर क्या होता है क्यों होता है कारण लक्षण और उपचार की पूरी जानकारी।

क्या होता है ब्लड कैंसर ( Blood Cancer in Hindi)

ब्लड कैंसर होने की कोई उम्र निर्धारित नहीं होती। यह किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है। ब्लड कैंसर होने पर कैंसर की कोशिकाएं यानी सेल्स व्यक्ति के शरीर में खून को बनने नहीं देती। जिससे इंसान के अंदर खून की कमी होने लगती है। शरीर के खून के साथ कैंसर व्यक्ति की बोन मैरो को भी नुकसान पहुंचाता है। आप इसे और आसान भाषा में समझिए। ब्लड कैंसर को ल्यूकेमिया भी कहा जाता है। जो रक्त में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इसका प्रमुख कारण रक्त कोशिकाओं के जीन में होने वाले कुछ असामान्य बदलाव हैं। जिनसे सफेद रक्त कोशिकाएं असाधारण रूप से बढ़ने लग जाती हैं। रक्त में कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं की संख्या अत्यधिक बढ़ने के कारण स्वस्थ लाल व सफेद रक्त कोशिकाओ को ऊपर से विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। रक्त में हेल्दी ब्लड सेल्स की कमी के कारण शरीर में सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता और अनेक स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होने लगती है। जो ब्लड कैंसर का कारण बनती है।

क्यों होता है ब्लड कैंसर (Causes of Blood Cancer in Hindi)

यदि पहले किसी प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए कीमो थेरेपी या रेडिएशन का उपयोग किया गया है। तो उसके बाद कई बार ब्लड कैंसर होने की संभावना हो सकती है। डाउन सिंड्रोम जैसे अनुवांशिक रोग से ग्रसित होने पर भी ब्लड कैंसर की संभावना होती है। बेंजीन नामक रसायन के बार-बार संपर्क में आने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है। बेंजीन सिगरेट के धुए भी पाया जाता है। इसके अलावा अगर किसी के परिवार में ल्यूकेमिया है। तो उसके किसी सदस्य को भी ब्लड कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। मैलाइट्स प्लास्टिक सिंड्रोम नामक ब्लड डिसऑर्डर का होना भी ब्लड कैंसर का एक प्रमुख कारण है। इस सिंड्रोम को प्री ल्यूकेमिया भी कहा जाता है। हाई रेडिएशन वेब से किसी भी प्रकार संपर्क में आने पर भी ब्लड कैंसर होने की संभावना बनी रहती है।

ब्लड कैंसर के लक्षण क्या है (Symptoms of Blood Cancer in Hindi)

ब्लड कैंसर के लक्षण निम्न हैं।

  • बुखार आना
  • ठंड लगना
  • लगातार थकान होना
  • जी मचलना
  • उल्टी आना
  • वजन घटना
  • भूख कम लगना
  • सिर दर्द होना
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • लगातार खून बहना
  • जल्दी-जल्दी चोट लग जाना
  • मसूड़ों से खून आना
  • दिखाई देने में परेशानी होना
  • सिर दर्द होना
  • पेशाब के दौरान पेशाब करने में तकलीफ होना
  • एनोरेक्सिया कमजोर होना
  • सोते समय पसीना आना
  • पेट और हड्डियों में दर्द होना

Medical Symptoms of Blood Cancer in Human Body

ब्लड कैंसर के अन्य लक्षण निम्न प्रकार है।

ल्यूकेमिया

ब्लड सेल्स हमारी बोन मैरो में बनती हैं। और यहीं से ल्यूकेमिया शुरू होता है। ल्यूकेमिया में हमारे शरीर में वाइट ब्लड सेल्स अधिक मात्रा में बनती हैं। जो कंट्रोल नहीं होती। यह सिर्फ अपने लाइफ टाइम पीरियड से ज्यादा समय तक जीवित रहती है। इसके अलावा यह आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद नहीं करती। ल्यूकेमिया के लक्षण इस प्रकार दिखते हैं जैसे थकान, कमजोरी होना, सांस लेने में तकलीफ होना ,चक्कर आना , त्वचा का पीला पड़ जाना ,छाती में दर्द होना आदि।

क्लॉटिंग ना होना

प्लेरेट्स सेल्स ब्लड क्लॉट में सहायक होती हैं। जब ब्लड क्लॉट अच्छे से नहीं होता तो छोटा सा कट लगने पर भी बहुत खून बह जाता है। इसके साथ-साथ नाक में खून आना भी सामान्य हो सकता है। इसके लक्षण इस प्रकार दिखाई देते हैं। असमानी चोट लगना, मसूड़ों में खून आना, तेजी से पीरियड होना आदि।

लिंफोमा

लिंफ नोड्स में सूजन आना लिंफोमा का मुख्य कारण होता है। इसके अलावा रोगी की गर्दन बगल या ग्रोइंग में एक गांठ बन जाती है। जिससे व्यक्ति को खांसी होना, सांस लेने में तकलीफ होना। छाती, पेट और हड्डियों में दर्द के साथ अन्य लक्षण शामिल है। रोगी का स्प्लीन बड़ा हो सकता है। जिसकी वजह से पेट फूल जाता है। सूजे हुए लिम्फ नोड्स में आमतौर पर दर्द नहीं होता। इसके लक्षण इस प्रकार नजर आते है। बुखार आना, रात में पसीना आना, थकान होना, कमजोर होना खुजली होना आदि।

ब्लड कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं (Stages of Blood Cancer in Hindi)

ब्लड कैंसर की चार स्टेज होती हैं।

स्टेज 1

ब्लड कैंसर के स्टेज वन में लिंफोसाइट की संख्या अचानक बढ़ जाने के कारण लिंफ नोड्स भी बढ़ जाते हैं। इस स्टेज में दूसरे की तुलना में कम खतरा होता है। और इस स्टेज में कैंसर का इलाज योग्य है। क्योंकि मेटास्टेटिस का विकास इस स्टेज में पूरी तरह से शुरू नहीं होता।

स्टेज 2

इस स्टेज में रोगी के शरीर के अंग जैसे स्प्लीन यकृत और लिंक नोट्स बढ़ जाते हैं। सभी अंग एक ही समय में प्रभावित नहीं होते बल्कि कैंसर इन अंगों पर धीरे-धीरे हमला करता है।

स्टेज 3

इस स्टेज में रोगी एनीमिया का शिकार हो जाता है। और स्प्लीन यकृत और लिंफ नोड्स कैंसर से प्रवाहित होने लगते हैं। इस स्टेज में 2 से ज्यादा अंग निश्चित रूप से प्रभावित होते हैं।

स्टेज 4

यह आखिरी स्टेज होती है। जिसमें कैंसर का शरीर पर प्रभाव अत्यंत भयंकर होता है। और रोगी की मौत की संभावना अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि ब्लड प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरने लगती हैं। इस स्टेज में फेफड़ों के साथ-साथ और भी महत्वपूर्ण अंग कैंसर सेल्स भी प्रभावित होती है।

ब्लड कैंसर का उपचार क्या है (Treatment of Blood Cancer in Hindi)

कीमोथेरेपी

ल्यूकेमिया के प्रकार के आधार पर एक साथ कई दवाइयों के कंबीनेशन का उपयोग असामान्य ल्यूकेमिया कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है। इस थेरेपी से रोगी राहत महसूस करता है।

रेडिएशनथेरेपी

ल्यूकेमिया कोशिकाओं के विभाजन को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे बॉडी के कुछ खास एरिया में या फिर जरूरी होने पर पूरे शरीर पर भी प्रयोग किया जाता है।

स्टेम सेल थेरेपी

इसमें स्टेम सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है इस टाइम चल सभी कोशिकाएं होती हैं। जो किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदलने की क्षमता रखती हैं। स्टेम सेल से गर्भनाल से या फिर फिर बोन मैरो से प्राप्त की जाती हैं। स्वस्थ स्टेम सेल को जब रोग ग्रस्त बोन मैरो या अस्थि मज्ज़ा में ट्रांसप्लांट किया जाता है। तो रोग ग्रस्त बोन मैरो स्वस्थ हो जाती हैं। स्टेम सेल से जब मरीज के शरीर से लेकर उसी मरीज के बोर्ड में रूम में ट्रांसप्लांट की जाती हैं। तो इसे ऑटो लॉन्गस ट्रांसपोर्ट कहते हैं।

इम्यूनो थेरेपी

इसमें शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जाता है। ताकि इम्यून सिस्टम शरीफ कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उन पर हमला कर सके।

टारगेटेड थेरेपी

इसमें चिकित्सा दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। जो सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करके नष्ट करती हैं। और इनके आसपास के स्वस्थ कोशिकाओं को भी क्षति नहीं पहुंचती।

ब्लड कैंसर के जोखिम को कैसे कम करें

  • रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें।
  • एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर अच्छी तरह संतुलित डाइट का पालन करें।
  • अगर संभव हो तो कीटनाशक से दूर रहें।
  • रेडिएशन के अत्यधिक संपर्क से बचें।
  • बहुत सारा पानी पिए कम से कम दिन में 3 लीटर तक पानी पिएं।
  • अगर आप कैंसर से संबंधित किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आ रहे है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

ब्लड कैंसर टेस्ट कैसे किया जाता है (How to test Blood cancer in Hindi)

ब्लड कैंसर होने पर रोगी का टेस्ट निम्न तरीके से किया जाता है।

कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट

यह ब्लड टेस्ट आपके डॉक्टर को सैंपल में एक विशेष प्रकार की रक्त कोशिका की मात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी देता है। अगर रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य से अधिक या कम है तो या रक्त कैंसर का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में आपका डॉक्टर कैंसर की पुष्टि करने के लिए दूसरे टेस्ट की भी सलाह देते हैं।

ब्लड प्रोटीन टेस्ट

रक्त कोशिकाओं में इम्यूनोग्लोबुलीन भी होते हैं। जो सेल प्रोटीन होते हैं। और संक्रमण से लड़ने में आपकी सहायता करते हैं। मायलोमा कैंसर के मामले में इन कोशिकाओं का असमान उत्पादन होता है। इसलिए यह निर्धारित करने के लिए आप रक्त कैंसर से पीड़ित है या नहीं ,डॉक्टर सइस टेस्ट का उपयोग करते हैं।

बायोप्सी

सीबीसी की रिपोर्ट में रक्त कोशिका की संख्या बढ़ी हुई है या कम दिखाई दे रही है या फिर ब्लड प्रोटीन टेस्ट में एमिनोग्लोबिन का सामान्य स्तर दिखाई पड़ता है। कैंसर की पुष्टि के लिए रोगी के बोन मैरो बायोप्सी की जाती है।

ब्लड कैंसर से बचाव

  • ब्लड कैंसर रोगी को हेल्दी डाइट विटामिन और पोषण युक्त भोजन करना चाहिए उसे अपने डाइट में हरे और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए ।खाने में अंडा मशरूम, पत्ता गोभी आदि खाना चाहिए।
  • रेड मीट खाने से कैंसर का खतरा 12% तक बढ़ जाता है इसलिए रेड मीट खाने से बचना चाहिए।
  • ज्यादा तला हुआ भोजन माइक्रोवेव से पका हुआ भोजन न खाएं इसके अलावा ठंडा खाना खाने से बचें।
  • रोजाना व्यायाम और एक्सरसाइज करें।
  • ब्लड कैंसर को ठीक करने के लिए आप योगा भी कर सकते हैं योगा परामर्श की सलाह लें।

निष्कर्ष

ब्लड कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। इस तरह के कैंसर में रोगी ज्यादातर जीवित नहीं रहते। इस रोग में व्यक्ति को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

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