पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। कैंसर के कुल मामलों में से 2 से 3% ब्रेन ट्यूमर के होते हैं। देश में प्रतिवर्ष ब्रेन ट्यूमर के 80 हजार मामले सामने आते हैं। जिनमें से 20 फ़ीसदी बच्चे होते हैं। इनकी उम्र 15 से 35 साल के बीच होती है। ब्रेन ट्यूमर को एक गंभीर तरह का कैंसर माना जाता है। लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। अगर समय रहते इसका सही उपचार करा लिया जाए तो न केवल इससे होने वाली मौतें को रोका जा सकता है। बल्कि सामान्य जीवन भी किया जा सकता है। ब्रेन ट्यूमर और उसके सही उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन टयूमर डे मनाया जाता है। ब्रेन ट्यूमर क्या है इसके लक्षण और उपचार की पूरी जानकारी आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।

क्या है ब्रेन ट्यूमर

हमारे शरीर की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से विकसित और विभाजित होने लगती हैं। तब वह एक जगह इकट्ठे होकर ट्यूमर बना लेती हैं। जो एक उभार या गांठ के रूप में नजर आता है। यह प्रक्रिया मस्तिष्क या उसके आसपास होती है। तो उसे ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। मस्तिष्क शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील हिस्सा है। इसमें ट्यूमर विकसित होने से जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है। लेकिन समय पर डायग्नोसिस और उपचार करा लिया जाए तो इसके ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ब्रेन ट्यूमर दो तरह के होते हैं। कैंसर युक्त ट्यूमर को मेलिगनेंट और कैंसर रहित ट्यूमर को बिनाइन कहते हैं। मालिगनेंट को उसके विकसित होने के स्थान के आधार पर प्राइमरी और सेकेंडरी दो भागों में बांटते हैं। जब ब्रेन ट्यूमर सीधे मस्तिष्क में होता है। तो इसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। लेकिन जब कैंसर शरीर के किसी दूसरे भाग में विकसित होता है। और वहां से मस्तिष्क में फैलता है। तो उसे सेकेंडरी या मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं।

ब्रेन ट्यूमर को कितने चरणों में बांटा गया है

ब्रेन ट्यूमर को निम्न चार चरणों में बांटा गया है। जो इस प्रकार हैं।

ग्रेड ए: यह ट्यूमर सीधे धीमे विकसित होते हैं। और इनके फैलने की आशंका बहुत कम होती है। इन्हें अक्सर सर्जरी से ठीक किया जा सकता है।

ग्रेड बी: इस स्टेज पर भी कैंसर के तेजी से विकसित होने और फैलने की आशंका कम होती है। लेकिन उपचार के बाद वापस विकसित होने की आशंका अधिक होती है।

ग्रेड सी: इसमें ट्यूमर की कोशिकाएं तेजी से विभाजित होने से उसका आकार बढ़ने लगता है। या फैलने लगता है। जिससे सभी कोशिकाएं एक जगह इकट्ठा होकर गांठ बना लेती हैं।

ग्रेड डी: इस स्टेज पर ट्यूमर का आकार तो बढ़ रहा होता है। इसके अतिरिक्त ट्यूमर में असमान रक्त नलिका ओं का विकास और मृतकों वाले क्षेत्र भी होते हैं। यह ट्यूमर तेजी से विकसित हो सकते हैं और फैल सकते हैं।

क्या है ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

ब्रेन ट्यूमर 120 से अधिक प्रकार के होते हैं। और इन सब में अलग-अलग प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। लक्षण इस पर निर्भर करते हैं। कि ट्यूमर मस्तिष्क के किस भाग में विकसित हुआ है। कुछ लक्षण इस प्रकार हैं।

  • बार बार सिर दर्द होना
  • सिर दर्द के साथ ही बिना किसी कारण के जी मचलाना
  • उल्टी आना
  • बोलने और सुनने में दिक्कत होना
  • दौरे पड़ना
  • शारीरिक और मानसिक संतुलन का बढ़ जाना
  • आंखों की रोशनी कम होना
  • धुंधला दिखाई देना
  • चलने और फिरने में तकलीफ होना

ब्रेन ट्यूमर में क्या सावधानी बरतें

गंभीरता से सिर दर्द को लें : सिरदर्द विश्व भर में होने वाली सबसे सामान्य स्वास्थ्य समस्या है। अधिकतर लोग सिर दर्द होने पर उसकी अनदेखी करते हैं। या दर्द कम करने की कोई दवा ले लेते हैं। कभी कभी सिर दर्द हो तो कोई बात नहीं, अगर अक्सर सिर दर्द लगातार होने लगे रात और दिन तेज सिर दर्द होने से नींद खुल जाए ,चक्कर आने लगे सिर दर्द के साथ जी मिचलाना और उल्टी होने की समस्या हो तो समझिए कि दिमाग में प्रेशर बढ़ रहा है या ब्रेन ट्यूमर हो सकता हैm अगर किसी को पिछले कुछ दिनों से इस तरह का हो रहा है। तो इसकी जांच जरूर करवाएं। अन्यथा इसके परिणाम घातक हो सकते हैं।

सेलफोन का इस्तेमाल कम करें : सेलफोन से निकलने वाली रेडियो फ्रिकवेंसी एनर्जी के कारण ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इसको लेकर काफी विवाद हैं। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि लंबे समय तक नियमित रूप से सेलफोन का इस्तेमाल ब्रेन ट्यूमर का एक रिक्स को फेक्टर है कुछ अध्ययनों में यह भी बात सामने निकल कर आई है कि radio-frequency एनर्जी के एक्सपोजर और ब्रेन ट्यूमर में कोई संबंध नहीं है। लेकिन अधिकतर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना यह है कि मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन बच्चों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ा सकते हैं ।वैसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पापुलेशन हेल्थ एंड इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडियो फ्रिकवेंसी रेडिएशन और ब्रेन ट्यूमर में कोई संबंध नहीं है। इस विषय पर अभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ एकमत नहीं है। लेकिन फिर भी जानकारी यही सलाह देते हैं कि आप सिर्फ उनका कम से कम इस्तेमाल करें । सिर और मोबाइल के बीच फासला रखें अधिक रात तक मोबाइल फोन ना चलाएं बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। दिन में सिर्फ 3 से 4 घंटे ही मोबाइल के इस्तेमाल करें।

तुरंत डायग्नोसिस कराएं : ब्रेन ट्यूमर का संदेह होने पर डॉक्टर से कुछ जरूरी जांच और प्रक्रियाओं का सुझाव दे देते है। जैसे सिर दर्द के लिए एमआरआई, सीटी स्कैन एंजियोग्राफी , x-ray, बायोप्सी आदि । अगर ट्यूमर का विकास बहुत धीमा है। तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं। लेकिन यदि ट्यूमर high-grade है। तो तुरंत उपचार कराना जरूरी है। उपचार कराने में देरी घातक साबित हो सकती है। कुछ ट्यूमर बहुत घातक होते हैं। जो जानलेवा हो सकते हैं। पर यह सब सही जांच पर ही पता चलता है। मरीज की स्थिति कैसी है ।और ट्यूमर का आकार कितना बड़ा है ।और वह कितने चरण में है। इसलिए जांच कराने पर बिल्कुल भी देरी ना करें। तुरंत डायग्नोसिस जांच कराएं।

क्या है ब्रेन ट्यूमर के उपचार के विकल्प

पहले ब्रेन ट्यूमर को एक घातक बीमारी माना जाता था। लेकिन आधुनिक तकनीकों ने इसके उपचार को न केवल आसान बना दिया है। बल्कि सफलता का प्रतिशत भी बड़ा है। उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर का प्रकार क्या है। यह मस्तिष्क के किस भाग में है। और उपचार के प्रति यह कैसा रिस्पांस दे रहा है। अगर ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है। जहां ऑपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है। तो इसे सर्जरी द्वारा निकाल दिया जाता है ।माइक्रो इंडोस्कोपिक सर्जरी ने ब्रेन ट्यूमर के लिए की जाने वाली सर्जरी को आसान और परिष्कृत बनाया है। एम आई एस के द्वारा या तो पूरे ट्यूमर को निकाल दिया जाता है। या पूरे ट्यूमर को निकालना संभव नहीं होता है। तो उसके अधिक से अधिक भाग को निकाल दिया जाता है। इससे लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है। इसके अलावा बैंड उम्र के उपचार के लिए रेडिएशन थेरेपी कीमो थेरेपी टारगेट ड्रग थेरेपी और रेडियोसर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। रेडियोसर्जरी ब्रेन ट्यूमर का अधिक उपचार है। या एक ही सेटिंग में हो जाता है। और अधिकतर मामलों में मरीज उसी दिन घर जा सकता है। इसमें कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कई बींस का इस्तेमाल किया जाता है। जो एक बिंदु पर फोकस होती है इसे रेडिएशन थेरेपी से बहुत बेहतर माना जाता है। इसकी सफलता दर 80 से 90% होती है और साइड इफेक्ट भी बहुत कम होते हैं।

ब्रेन ट्यूमर के उपचार के बाद भी अगर रोजमर्रा के कामों में या बोलने में समस्या हो रही हो तो फिजिकल थेरेपी स्पीच थेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी की मदद ली जा सकती है। अगर ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के उस भाग में विकसित हुआ है। जहां से बोलने सोचने और देखने की क्षमता नियंत्रित होती है। तो कई बार उपचार के बाद भी यह गतिविधियां सामान्य नहीं हो पाती। मरीज की जरूरत के आधार पर डॉक्टर स्पीच थेरेपी का सुझाव दे सकते हैं। इसके लिए स्पीच पैथोलॉजिस्ट मदद करते हैं। इसके लिए अब मांसपेशियां की शक्ति को दोबारा हासिल करने के लिए फिजिकल थेरेपी के सेशन दिए जाते हैं ऑक्यूपेशनल थेरेपी से दैनिक गतिविधियों को करने में मदद दी जाती है।

निष्कर्ष

ब्रेन ट्यूमर एक गंभीर बीमारी है। ब्रेन ट्यूमर अधिक सोचने पर अधिक तनाव लेने पर या सर पर चोट लगने पर या हाई ब्लड प्रेशर मरीज जैसे कारणों के कारण ब्रेन ट्यूमर बनता है। ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव है। अगर सही समय पर पता लगने पर ब्रेन ट्यूमर का इलाज कराया जाए तो आप इसमें सफल हो सकते हैं। ब्रेन ट्यूमर से संबंधित अगर किसी प्रकार के लक्षण आपको दिखे तो उन्हें नजरअंदाज बिल्कुल ना करें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।और साथ ही डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार को ही प्राथमिकता दें।

Hindi Mail

View all posts

Add comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *