दुनिया अभी कोरोनावायरस की गिरफ्त से पूरी तरह निकली भी नहीं है। कि एक और वायरस ने सनसनी मचा दी है। इस वायरस का नाम है कॉक्सी वायरस है। मौजूदा समय में इस वायरस से होने वाले एचएफएमडी संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पहले 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इसके मामले सामने आते थे। लेकिन अब कॉक्सी वायरसबड़े बच्चों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। आज हम आपको इस नए वायरस के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे। यह आर्टिकल अभी भी आपको गूगल पर नहीं मिलेगा यह पहली बार हमारे द्वारा लिखा जा रहा है।

क्या है कॉक्सी वायरस

यह एक संक्रामक रोग है। लेकिन यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है। यह बात सच है कि हर दिन किसी नए वायरस की आहट के चलते पुरानी बीमारी भी बच्चों के माता-पिता की चिंता बढ़ा देती है। ऐसी ही एक समस्या है एचएफएमडी यानी हैंड फुट माउथ डिजीज। एचएफएमडी के संक्रमण के कारण इन दिनों अस्पतालों में बच्चों को बुखार के साथ हाथ पैर व मुंह में छाले के मामले सामने आ रहे हैं। कॉक्सी वायरस से बच्चों में बुखार के साथ हाथ पैर और मुंह में छोटे बड़े सभी प्रकार के छाले नजर आते हैं। इसका असर 5 साल से कम के बच्चों में ज्यादा दिखता है। लेकिन हाल ही में 11 से 16 साल के बच्चों में लक्षण देखे गए हैं। बड़े बच्चों में इसके लक्षण हल्के होते हैं। अलग बात यह है कि इस बार कुछ बच्चों में एक बार ठीक हो जाने के बाद दोबारा ऐसा हो रहा है। जिस वजह से विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। यह संक्रामक रोग जरूर है। लेकिन गंभीर बीमारी नहीं है।

कॉक्सी वायरस होने का क्या कारण है

इस वायरस के होने से बच्चों में 100 से 102 डिग्री तक बुखार चला जाता है। साथ ही हाथ और पैर में मुंह में दाने और छाले हो जाते हैं। कुछ बच्चों में बुखार नहीं होता है। केवल दाने ही निकल आते हैं। इससे पहले भी ऐसे मामले आए हैं। लेकिन इस बारिश में ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है। बीते दिनों कोरोनावायरस वायरस के डर का असर बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में दिखा है। यह बात सच है कि बीते लंबे समय तक बच्चे घर में रह रहे हैं। इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हुई है। मानसून के हर समय में हर साल एचडी चिकन पॉक्स के मामले सामने आते हैं। इसमें तेज दर्द होता है ।और बच्चों में खाना खाने पीने की दिक्कत होती है। इस वायरस का असर दिमाग में भी होता है। एचएफएमडी C A 16 के कारण होने वाली समस्या है। यह वायरस एंटीवायरस परिवार का सदस्य या वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में मौजूद तरल पदार्थ में हो सकते हैं। जैसे लार, नाक, बलगम ,मल आदि ।संक्रमित व्यक्ति के छीखने ,खांसने से निकले तत्वों के संपर्क में आने से या छूने से यह दूसरों को भी हो जाता है।

कॉक्सी वायरस क्या है लक्षण

  • 100 से 102 डिग्री बुखार आना
  • सिर दर्द होना
  • उत्तेजना महसूस होना
  • गले में खराश होना
  • जीभ मसूड़ों, गालों में दर्द होना
  • छाले जैसे घाव होना
  • नितंब ,तलवे और हथेलियों में दाने निकलना
  • त्वचा के आधार पर यह दाने लाल सफेद व भूरे छोटी फुंसियों के रूप में हो सकते हैं
  • भूख न लगना
  • चक्कर आना
  • असहज महसूस करना

इस वायरस के दाने हाथ और पैर में भी निकल सकते हैं। जबकि चिकन पॉक्स के दाने चेहरे पर शुरू होते हैं। और वह हाथ और पंजे पर नहीं होते हैं।

कॉक्सी वायरस की समस्या कितने दिनों तक रहती है

कॉक्सी वायरस वायरस एक नया वायरस है। यह ज्यादातर 1 से लेकर 16 साल तक के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। पहले यह। वायरस था। लेकिन सिर्फ 1 से 5 साल तक के बच्चों को ही चपेट में लेता था। लेकिन दिन पर दिन यह वायरस बढ़ता जा रहा है। और अब 16 साल तक के बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। जिसकी वजह से बच्चे डर रहे हैं। अगर बात करें। कॉक्सी वायरस की समस्या कितने दिन तक रहती है। तो आमतौर पर प्रारंभिक संक्रमण के समय से लक्षण की शुरुआत तक 3 से 6 दिन लगते हैं। बच्चों को बुखार और गले में खराश की शिकायत हो सकती है। वह कभी-कभी अस्वस्थ महसूस करते हैं। और उनकी भूख कम हो जाती है। खाना खाने का मन बिल्कुल नहीं करता है। प्यास अधिक लगने लगती है। बुखार शुरू होने के 1 दिन बाद एक दो दिन बाद गले के सामने छाले और घाव दिखाई देते हैं। इसकी अलग से कोई दवा नहीं बनाई गई है। अभी लक्षणों के आधार पर ही दवाएं दी जाती हैं। हफ्ते भर यह समस्या बिना किसी एंटीबायोटिक दवा के ही ठीक हो जाती है। इसमें एंटीएलर्जी और बुखार के हिसाब से पैरासिटामोल दवा दी जाती है। मुंह में छालों के लिए ज्यादातर क्रीम ही दी जाती है। अगर इस वायरस की दवा से ठीक करने की बात हो तो यह वायरस 1 हफ्ते के अंदर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। हालांकि इनके दोबारा निकलने की पूरी संभावना होती है। जो पहले से ज्यादा खतरनाक रूप में निकलती है।

कॉक्सी वायरस से बचाव के लिए क्या करें

  • सबसे पहले घबराएं नहीं बच्चे के बुखार व दूसरे लक्षणों पर नजर रखें और डॉक्टर से संपर्क करें।
  • बच्चे को ठीक होने तक स्कूल ना भेजें। इससे दूसरे बच्चों में भी प्रभाव पड़ सकता है। क्योंकि यह खांसने और छींकने और छूने से भी फैलता है।
  • बच्चों को तरल चीजें दे। मतलब खाने के लिए पेय पदार्थ दें।
  • तेल , मसाले की चीजें खाने को बिल्कुल ना दे। बाहर की चीजें जैसे बंद पैकेट में मिलने वाले सामान को पूरी तरह से बैन करें। घर में बनी हुई शुद्ध पौष्टिक चीजें ही खिलाएं।
  • बच्चों के बर्तन व कपड़ों को साफ रखें। संक्रमित बच्चों के खिलौने बर्तन व ब्रश को दूसरे बच्चों के साथ शेयर ना करें।
  • बच्चों के हाथ को हमेशा साफ रखें। बच्चों को खुले में रखी चीजों को छूने के बाद हाथ धोने के लिए प्रेरित करें। खांसते , छींकते समय रूमाल इस्तेमाल करने के लिए दें।
  • बच्चों के कपड़े रोजाना गर्म पानी से धोएं। साथ ही साबुन ,निरमा का इस्तेमाल करें।
  • अपने आसपास सफाई रखें।
  • अन्य बच्चों या ऐसे लोगों से दूर रहे हैं। जिनमें इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें।
  • बच्चों को खट्टे फल फलों का जूस आइसक्रीम और कस्टर्ड खाने ना दें।
  • दानों पर साबुन का प्रयोग ना करें । दानों पर आराम के लिए नीम एलोवेरा जेल लगा सकते हैं।

किस अवस्था में ले जा सकते हैं अस्पताल

बच्चों में इस प्रकार की बीमारी देखकर माता-पिता हैरान और परेशान हो जाते हैं। उन्हें बिल्कुल भी नहीं समझ आता कि ऐसी सिचुएशन में हम क्या करें। क्योंकि बच्चे नासमझ होते हैं। और उन्हें इस तरह की बीमारी या इस तरह की चीजों का अहसास बिल्कुल नहीं होता। वह सिर्फ इसे फोड़े और फुंसी ही समझते हैं। ऐसे माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे वायरस और लक्षण के प्रति अपने बच्चों को जागरूक करें। और समय-समय पर सावधान रखें। अगर आपके बच्चों को कॉक्सी वायरस नामक बीमारी हो गई है ।तो उन्हें कब अस्पताल ले जाएं इन निम्न बातों पर गौर करें।

  • जब बच्चा कॉक्सी वायरस के कारण मुंह से कुछ खा ना रहा हो। तब आप उसे नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • इस बीमारी की वजह से जब माता-पिता बच्चे को घर में भी संभालना पा रहे हो।
  • किसी प्रकार के घरेलू इलाज करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
  • बच्चा बीमार व कमजोर लगे चेहरे या त्वचा का रंग अलग दिख रहा हो।
  • 48 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उसे लगातार तेज बुखार आ रहा हो।
  • चेहरे, मुंह, हाथ और पैर में अगर दाने में बदलाव हो रहे हो।
  • जब न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं का संदेह हो जैसे सुस्ती बढ़ना ,दौरे पड़ना ,अधिक नींद आना ,सोते रहना, आलस करना, चलने में दिक्कत होना, चक्कर आना ऐसी समस्या दिखे तब डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • हृदय संबंधी जटिलताओं का संदेह होना जैसे निम्न रक्तचाप धड़कनों का बहुत कम और अधिक होना, सीने में दर्द उठना, बच्चों में बोलने में परेशानी होना ,आंख पीली पड़ जाना, इस अवस्था में बच्चों को अस्पताल जरूर ले जाएं।

निष्कर्ष

कई जानकर कॉक्सी वायरस को गंभीर भी मानते है। तो कुछ इसे सामान्य बीमारी समझते है। हालांकि जिस तरह से यह वायरस बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। उससे चिंता बढ़ना लाजमी है। कॉक्सी वायरस बच्चों के अंदर कई तरह के प्रभाव डाल रहा है। मुंह पर छाले, चेहरे पर दाने ,हाथ और पैरों में भी कई तरह के रंगों में बदलाव वाले दाने निकल रहे हैं। हालांकि यह बीमारी गंभीर नहीं है। इसको सामान्य दवाइयों से ठीक किया जा सकता है। फिर भी माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि इस वायरस के प्रति अपने बच्चे को सचेत रखें। सावधान रखें। अधिक परेशानी पर नजदीकी अस्पताल ले जाएं। घरेलू इलाज करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।

Hindi Mail

View all posts

Add comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *