कल्पना कीजिए कि अगर किसी व्यक्ति की आंखें खराब हो जाए। और उसे कुछ न दिखे तो उसका जीवन कैसा रहेगा। निश्चित तौर पर उसका जीवन अंधकार से कम नहीं होगा। आंखें कुदरत की वो देन हैं। जिनसे हम किसी भी चीज को बिना कहे, बिना सुने ही महसूस कर सकते हैं। अगर आपको दूर या पास कम कम दिखाई दे, गाड़ी ड्राइव करने में समस्या है। और आप दूसरे व्यक्ति के चेहरे के भाव को ना पढ़ पा रहे हो। तो समझ लीजिए आप मोतियाबिंद के शिकार हो रहे हैं। भारत में 90 लाख से लेकर 1,2000000 लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन हैं। हर साल मोतियाबिंद के लगभग 20 लाख मामले सामने आते हैं। हमारे देश में एक आंकड़े के अनुसार 62. 6 प्रतिशत नेत्रहीन के कारण मोतियाबिंद होता है। लेकिन आधुनिकता के इस दौर में मोतियाबिंद का इलाज संभव है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे कि मोतियाबिंद क्या होता है। क्यों होता है। इसके कारण क्या है। इसके लक्षण और बचाव की पूरी जानकारी।

मोतियाबिंद क्यों होता है

लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है। जो लाइट इमेज को रेटीना पर फोकस करने की सहायता करता ह। रेटिना के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील ऊतक है। सामान्य आंखों में प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटीना को जाता है।जब एक बार यह रेटिना पर पहुंच जाता है। तो प्रकाश नर्व में बदल जाता है। जो मस्तिक की ओर भेजता है। जिससे रेटीना साफ इमेज प्राप्त करे। इसके लिए जरूरी है। क्लियर क्लियर होना चाहिए। जब लेंस क्लाउडरी हो जाता है। तो लाइट लेंस स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती। इस कारण जो इमेज आप देखते हैं वह धुंधली दिखाई देती है। इस कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं। मोतियाबिंद को कैटरैक्ट नाम से भी जानते हैं। अगर मोतियाबिंद को थोड़ा और आसान भाषा में समझिए तो इस प्रकार है। आंख के अंदर जो लेंस है। उसका धुंधला पड़ जाना मोतियाबिंद होता है। हमारी आंख एक कैमरे की तरह होती है। जैसे कैमरे में एक लेंस और एक फिल्म होती है। उसी तरह से आंख में भी ऐसा ही होता है। एक नॉर्मल इंसान की आंख का लेंस शीशे की तरह साफ होता है। लेकिन अगर यह लेंस धुंधला पड़ जाए सफेद हो जाए तो इससे मोतियाबिंद बीमारी कहते हैं ।इस स्थिति में आंख के अंदर की लाइट इसकी वजह से पर्दे तक नहीं पहुंच पाती। और आपको दिखना बंद हो जाता है। बस यही कैटरैक्ट या मोतियाबिंद होता है।

क्यों होता है मोतियाबिंद

मोतियाबिंद होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे।

  • वजन बढ़ना
  • उम्र बढ़ना
  • डायबिटीज
  • अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करना
  • सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्स्पोज़र
  • मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास मतलब अनुवांशिक लक्षण
  • उच्च रक्तदाब
  • आंखों में चोट लगना
  • सूजन होना
  • पहले से आंखो की सर्जरी होना
  • धूम्रपान करना इसके प्रमुख कारण है।

क्या है मोतियाबिंद के लक्षण

अधिकतर मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होता है। मोतियाबिंद से शुरुआत में दृष्टि प्रभावित नहीं होती। लेकिन समय के साथ यह आपको देखने की क्षमता को प्रभावित कर देता है। इसके कारण व्यक्ति को अपनी प्रतिदिन की असामान्य गतिविधियों को करना भी मुश्किल हो जाता है। मोतियाबिंद के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं।

  • दृष्टि में धुंधलापन
  • अस्पष्टता देखना
  • बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी होना
  • रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव होना
  • लेंस का एक फिल्टर काम ना करना
  • ड्राइविंग में दिक्कत आना
  • गाड़ी चलाते समय सामने वाली गाड़ी की हेडलाइट आंखों में पड़ना
  • एक वस्तु दो बार दिखाई देना
  • चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना
  • कोई वस्तु स्पष्ट न दिखाई देना धुंधली हुई दिखाई देना

मोतियाबिंद के रोकथाम

हालांकि इसके बारे में कोई प्रमाणित तथ्य नहीं है। कि कैसे मोतियाबिंद को रोका जा सकता है। इसके विकास को धीमा किया जा सकता है। डाक्टरों का मानना है कि कई रणनीतियां मोतियाबिंद के रोकथाम में सहायक हो सकती हैं जो इस प्रकार हैं।

  • 40 वर्ष के पश्चात नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं।
  • सूरज की अल्ट्रावायलेट चलने मोतियाबिंद विकसित करने में सहायता कर सकती हैं ।
  • जब भी बाहर धूप में निकले सनग्लास लगाकर निकले यह यूवी किरणों को ब्लॉक कर देता है।
  • अगर आपको डायबिटीज या दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हैं इससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है।उसका उचित उपचार।
  • रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें इनमें बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। जो आंखों को स्वस्थ रखने के लिए भूमिका निभाते हैं।

मोतियाबिंद कितने प्रकार का होता है

मोतियाबिंद दो प्रकार का होता है। एक मैच्योर मोतियाबिंद दूसरा इनमैच्योर मोतियाबिंद है। इनका अर्थ क्रमश इस प्रकार है। मैच्योर मोतियाबिंद पका हुआ मोतियाबिंद होता है यानी पूरी तरह सफेद गोला बन जाता है। दूसरा इनमैचोयर मोतियाबिंद का अर्थ होता है अभी गोला बनना शुरू हुआ है।

मोतियाबिंद पर हमें क्या खाना चाहिए

मोतियाबिंद पर क्या खाना चाहिए या एक बड़ा सवाल है। बहुत ज्यादा डाइट का इससे कोई संबंध नहीं है। लेकिन आप मोतियाबिंद को समान रूप से ठीक करने के लिए अपने खानपान में बदलाव कर सकते हैं। हमेशा लाइट खाना खाएं और इन चीजों का सेवन ना करे जैसे मिर्च, घी, तला हुआ भोजन , फास्ट फूड आदि का सेवन कम करें।

मोतियाबिंद की सर्जरी किस प्रकार कराई जा सकती है

आधुनिकता के दौर पर मोतियाबिंद की सर्जरी कई प्रकार से कराई जा सकती है। इसमें एक्स्ट्रा कैप्सूलर कैटरेक्ट्स एक्सटेंशन, इंट्राकैप्सूलर कैटरेक्ट एक्सटेंशन, माइक्रो इंसीजन ईयर , रेगुलर कैटरेक्ट सर्जरी, रोबोटिक कैटरेक्ट सर्जरी, लैप्रो कैटरेक्ट डिवाइस द्वारा आदि तरीकों से सर्जरी संभव है।

मोतियाबिंद की सर्जरी कब करानी चाहिए

जब मोतियाबिंद आपके दैनिक कार्यों में दिक्कत पैदा करने लगे तो आपको सर्जरी करा लेनी चाहिए। मोतियाबिंद के पकने का इंतजार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से सर्जरी ज्यादा जटिल हो जाती है। ज्यादातर दोनों आंखों की सर्जरी एक साथ नहीं की जाती है। अगर आप एक आंख में सर्जरी के बाद सुधार अच्छा पाते है ।तो दूसरी आंख की सर्जरी अगले दिन भी करा सकते हैं ।या कुछ महीनों बाद करा सकते हैं। आप अपनी सहूलियत और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही करा सकते हैं।

मोतियाबिंद होने के पश्चात ऑपरेशन कराने से पहले क्या करना चाहिए

अगर आपको या आपके परिवार में किसी को मोतियाबिंद है। तो आपको जब तक डॉक्टर ऑपरेशन कराने के लिए ना कहे तब तक इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • आप के लेंस और चश्मे बिल्कुल सही नंबर हो
  • अगर पढ़ने के लिए आपको अतिरिक्त प्रकाश की जरूरत पड़ रही हो तो पढ़ने के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास का इस्तेमाल करें।
  • अपने घर के प्रकाश व्यवस्था को ठीक करें अधिक रोशनी वाले बल्ब लगायें।
  • जब भी बाहर जाएं तो सनग्लासेस चश्मों का इस्तेमाल ही करें।
  • रात में गाड़ी बिल्कुल भी ना चलाएं ।

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

सर्जरी के बाद जल्द ही आप चलने पढ़ने लिखने और टीवी देखने जैसे कार्य कर सकते हैं। हालांकि सर्जरी के बाद पहले हफ्ते के दौरान थकाने वाले कार्य बिल्कुल ना करें। भारी से भारी वजन वाले सामान बिल्कुल ना उठाएं । अपनी क्षमता के अनुसार ही कार्य करें ।आप ड्राइविंग कब शुरू कर सकते हैं खाने पीने में क्या परहेज कर सकते हैं यह सब डॉक्टर से परामर्श पहले से कर ले । कुछ मामलों में सर्जरी के तुरंत बाद दिखने लगता है । तो कुछ मामलों में सर्जरी के एक-दो दिन बाद साफ नजर आने लगता है।

मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कितना खर्च आता है।

यह निर्भर करता है। आंख में कौन सा लेंस डाला जा रहा है। आप का ऑपरेशन एक आंख का होगा या दूसरी आंख का और आप किस तकनीक से ऑपरेशन करवा रहे हैं इस बात पर खर्च निर्भर करता है।

क्या एक बार ऑपरेशन के बाद दोबारा मोतियाबिंद हो सकता है।

ऐसा नहीं है एक बार ऑपरेशन के बाद दोबारा मोतियाबिंद कभी नहीं होता।

आयुर्वेदिक दवाएं दावा करती है कि वह बिना सर्जरी के मोतियाबिंद ठीक कर सकते हैं क्या यह सही है।

: इसके कोई भी अभी तक परिणाम नहीं मिले हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है। कोई भी आयुर्वेदिक दवा मोतियाबिंद का इलाज नहीं कर सकती। इसका सिर्फ एक ही इलाज है। सर्जरी या फिर दूसरा लेंस डाला जाए।

क्या मोतियाबिंद की सर्जरी दर्दनाक होती है। कितनी सीरियस होती है?

आजकल मोतियाबिंद के सफल ऑपरेशन हैं। उनमें कोई दर्द नहीं होता है। कोई इंजेक्शन नहीं लगता है। कोई टाका नहीं लगता है । कोई ब्लड नहीं निकलता है । कोई पट्टी भी नही लगती। कोई हॉस्पिटलाइजेशन भी नहीं है। इस सर्जरी के 1 घंटे बाद आपको डिस्चार्ज कर दिया जाता है। ऑपरेशन के अगले दिन आपको फिर से दिखाना होता है।

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