टीबी एक जानलेवा बीमारी है। दुनियाभर की सरकारें टीबी रोग को समाप्त करने के लिए काम कर रही हैं। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर भी सजग रहना, जानकारी बढ़ाना और सही उपचार करवाना भी जरूरी है। टीबी के संदर्भ में चिंताजनक पहलू यह है कि आज भी दुनियाभर में टीबी के हर 14 में से एक मरीज भर्ती है l विश्व में टीवी के सर्वाधिक मरीज अपने देश में ही हैं। हजारों साल से चली आ रही है यह बीमारी आज भी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत सरकार ने 2025 तक टीवी को देश से मुक्त करने की योजना बना रखी है। जिस पर काम तेजी से चल रहा है। और विश्व स्वास्थ्य संगठन 2030 तक दुनिया से टीवी को खत्म करने का लक्ष्य बना रखा है।

एक अनुमान के मुताबिक टीवी में हर साल 13लाख मौतें होती हैं। इनमें से केवल 5 से 15 फ़ीसदी लोग टीबी रोग से बीमार पड़ते हैं। बाकी लोग टीबी के संक्रमण से बीमार पड़ते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक बीमार होने वाले ज्यादातर लोग निम्न और मध्यम आय वाले देश होते हैं। लेकिन टीबी पूरी दुनिया में मौजूद है। टीबी से पीड़ित व्यक्ति लगभग 8 देश पाए जाते हैं। टीबी के सबसे ज्यादा शिकार बांग्लादेश, चीन ,भारत, इंडोनेशिया ,नाइजीरिया पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका है। आज हम आपको इस आर्टिकल में टीबी रोग से जुड़ी पूरी जानकारी बताएंगे।

क्या है टीबी

टीबी जिसे क्षय रोग या तपेदिक रोग भी कहते हैं। टीबी एक संक्रमण है। एक जीवाणु माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण होने वाले संक्रमण है। जब कोई संक्रामक टीबी से पीड़ित व्यक्ति छींकता या खांसता है। तो उसे टीवी के बैक्टीरिया हवा में निकल जाते हैं। पलमोनरी टीबी बीमारी का एकमात्र रूप है। जो संक्रामक है। लेकिन टीबी शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। टीबी एक जानलेवा बीमारी है। टीबी एंटीबायोटिक दवाओं के इलाज से कारगर है। लेकिन कभी-कभी यह बीमारी दवाओं से ठीक नहीं होती है। और मनुष्य के मौत का कारण बन जाती है।

टीबी किस कारण होता है

टीबी माइक्रो बैक्टीरियल ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। टीबी के बैक्टीरिया हवा के माध्यम से फैलते हैं। जब यह बैक्टीरिया हवा में उपस्थित हो जाते हैं। जब कोई व्यक्ति सांस लेने के दौरान बैक्टीरिया को खींच लेता है। और यह टीवी का कारण बन जाती है। टीवी फैलने के प्रमुख कारण यह भी हैं। छींकना, खासना ,बोलना ,किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक नजदीकी रखना, जीवन शैली में बदलाव आना ,छोटे बच्चे बुजुर्ग जिन की प्रतीक्षा प्रणाली कमजोर है।उनके संपर्क में रहना, एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति के पास रहना ,मादक पदार्थों का दुरुपयोग करना ,सिर और गर्दन के कैंसर के रोगी के पास होना, डायबिटीज के मरीज किडनी के मरीज आदि लोगों के संपर्क में आने से टीबी फैलती है।

क्या है टीबी के लक्षण

टीबी से शरीर का जो हिस्सा प्रभावित होता है। उसी के आधार पर टीबी के लक्षण विकसित होते हैं । टीबी आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होती है। और आपको पता लगने में कई हफ्ते लग जाते हैं। इसके लक्षण आपको 6 महीने या 1 साल बाद महसूस होने लग जाते हैं। एक व्यक्ति लंबे समय तक टीबी से संक्रमित रह सकता है। परंतु उसे मालूम नहीं रहता धीरे-धीरे यह लक्षण बड़े हो जाते हैं। तब जाकर टीबी का पता चल पाता है। जिन लोगों को लेटेंट टीबी होता है ।उन्हें टीबी के कोई लक्षण महसूस नहीं होते ।

टीबी के लक्षण इस प्रकार हैं

  • लगातार 3 हफ्ते से अधिक खांसी आना
  • लगातार खांसते रहना
  • सांस लेते समय दर्द महसूस होना
  • खांसी के साथ बलगम में खून आना
  • आस्पष्टीकरण थकान होना
  • बुखार आना
  • रात में पसीना आना
  • पसीने और शरीर की बदबू आना
  • छाती में दर्द होना
  • सांस फूलना
  • भूख ना लगना
  • वजन कम होना
  • मांसपेशियां क्षतिग्रस्त होना
  • फेफड़े फूलना
  • टीबी आमतौर पर फेफड़े को प्रभावित करता है। लेकिन यह अन्य अंगों जैसे गुर्दे, लिवर को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी के लक्षणों पर पीठ में अकड़न होना लकवा मारना, ग्रंथियों में स्थिर सूजन होना, पेट में दर्द होना, डायरिया होना ,भ्रम होना, एक स्थित दर्द होना, मानसिक परिवर्तन होना, दौरे आना, मूत्राशय प्रणाली की नसें कमजोर होना आदि

टीबी कितने प्रकार की होती है

टीबी निम्न प्रकार की होती है। जिनकी विस्तृत जानकारी दी गई है।

पलमोनरी टीबी

अगर टीबी का जीवाणु फेफड़ों को संक्रमित करता है। तो वह पलमोनरी टीबी कहलाता है। टीबी का बैक्टीरिया 90% से ज्यादा मामलों में फेफड़ों को प्रभावित करता है। पलमोनरी टीबी होने पर लक्षण इस प्रकार दिखाई देते हैं। सीने में दर्द होना ,लंबे समय तक खांसी आना, बलगम के साथ खून आना, कभी-कभी पलमोनरी टीबी से संक्रमित लोगों की खांसी के साथ थोड़ी सी मात्रा में खून आता है। लगभग 25% ज्यादा मामलों में इस तरह के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। बहुत कम मामलों में संक्रमण फुसफुसी धमनी तक पहुंचता है। जिसके कारण फेफड़ा होता है। फेफड़ों के ऊपरी हिस्से पर होने वाली टीबी को कैविटरी टीबी कहा जाता है।

एक्स्ट्रा पलमोनरी टीबी

अगर टीबी का जीवाणु फेफड़े की जगह शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करता है। तो इस प्रकार की टीबी एक्स्ट्रा पलमोनरी टीबी कहलाती है। एक्स्ट्रापलमोनरी टीबी अधिकतर मामलों में संक्रमण फेफड़ों से बाहर भी फैल जाता है। और दूसरे अंगों को भी प्रभावित करता है। जिसके कारण फेफड़ों के अलावा अन्य अंग टीबी से प्रभावित हो जाते हैं। फेफड़ों के अलावा दूसरे अंग टीबी से पप्रभावित होने को सामूहिक रूप से एक्सट्रापलमोनरी टीबी के रूप में चयनित किया जाता है। एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी का शिकार ज्यादा होता है। ऐसे लगभग 50% मामले आते हैं। अगर टीबी का जीवाणु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। तो वह मैग्नीजजाइटिस टीबी कहलाती है।

टीबी मरीजों को क्या खाना चाहिए

  • टीबी मरीजों को उच्च प्रोटीन युक्त आहार और फल अधिक खाना चाहिए
  • दूध और दूध से बनी चीजें खानी चाहिए
  • सभी प्रकार की दालें खानी चाहिए
  • सोयाबीन खाना चाहिए
  • अंडा ,मांस ,मछली खाना चाहिए
  • विटामिन सी और डी युक्त चीजें खानी चाहिए
  • एक या आधे घंटे धूप में बैठना चाहिए
  • हरे पत्तेदार सब्जी खानी चाहिए
  • फाइबर युक्त फल खाने चाहिए

क्या है टीबी का उपचार

टीबी का मुख्य प्रारंभिक दवाई रायसेसिम और आइसोनियाजिद हैं। जिन्हें डॉक्टर की सलाह पर नियमित 6 महीने तक लेने से रोग ठीक हो जाता है। टीवी के उपचार निम्न है।

मल्टीड्रगरेजिस्टेंट ,एमडीआर टीबी

इसके अंतर्गत टीबी के जीवाणुओं में एक तरह की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। जिससे टीबी की शुरुआती दवाई असर नहीं करती। अगर टीबी का मरीज नियमित रूप से टीबी की दवाई नहीं लेता है। यह मरीज द्वारा गलत तरीके से टीबी की दवाई ली जाती है या या मरीज गलत तरीके से दवा दी जाती है। और कोर्स बीच में छोड़ देता है। तो रोगी को मल्टीड्रगरेजिस्टेंट टीबी हो सकती है। इसलिए टीबी के रोगी को डॉक्टर के दिशा निर्देश टीबी की दवाओं का सेवन करना चाहिए।

एक्सटेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंट टीबी

इस प्रकार की टीबी मल्टीड्रगरेजिस्टेंट टीबी से ज्यादा घातक होती है। एक्सटेंसिवली ड्रगरेजिस्टेंट टीबी में मल्टीड्रगरेजिस्टेंट टीबी के उपचार के लिए उपयोग होने वाली सेकंड लाइन ड्रग्स का टीबी का जीवन पर दो प्रतिरोध करता है । अगर सेकंड लाइन ड्रग को ठीक तरह से यह सही समय से नहीं खाया लिया जाता। तो इसकी आशंका और बढ़ जाती है। थर्ड लाइन पहुंचने पर करीब 2 सालों तक इलाज चलता है।

एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी का इलाज

दूसरे अंगों में टीबी होने पर बुनियादी उपचार के साथ उन विशेषज्ञ से जुड़े विशेषज्ञों की मदद ली जाती है। मशीन, रीड की हड्डी से जुड़ी टीबी में स्पाइन स्पेशलिस्ट और मस्तिष्क की टीबी होने पर न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श किया जाता है।

टीबी की जांच कैसे की जाती है

टीबी के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर द्वारा रोगी को टीबी की जांचने के लिए जांच करने के लिए लिमिट टेस्ट कराने की सलाह देते हैं जो इस प्रकार हैं।

फ्लूइड टेस्ट

इस टेस्ट में मरीज के बलगम अन्य फ्लूट को लैब में भेजा जाता है। प्रोसेसिंग के बाद स्लाइड पर उसका स्मीयर बनाया जाता है। फिर इसकी एसिडफास्ट स्टेनिंग की जाती है। स्टेनिंग के बाद स्लाइड पर टीबी के सैंपल को माइक्रोस्कोप के जरिए पहचान की जाती है। इसे करने में 2 से 3 घंटे समय लगता है।

स्किन टेस्ट

इसमें इंजेक्शन द्वारा दवाई स्किन में डाली जाती है। जिससे कि 48 से 72 घंटे होने बाद रिजल्ट टीबी होने पुष्टि हो जाती है।

लाइन प्रोब असे टेस्ट

यह एक रैपिड ड्रग संवेदनशीलता टेस्ट है। इस टेस्ट के जरिए टीबी के जीवाणु के फर्स्ट लाइन ट्रक और प्रतिरोध से जुड़ी जेनेटिक म्यूटेशन की पहचान 1 से 2 दिनों पर कर ली जाती है।

जीन एक्सपर्ट टेस्ट

नवीनतम तकनीकी जीन एक्सपर्ट एक कार्टिरेज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एमप्लीफिकेशन आधारित टेस्ट है। जीन एक्सपर्ट द्वारा 2 घंटे में बलगम द्वारा टीबी का पता लगा लेते हैं। क्योंकि टीबी कभी-कभी अनुवांशिक लक्षणों के कारण होती है।

निष्कर्ष

टीबी एक गंभीर बीमारी हैं। अगर आपको टीबी से जुड़े लक्षण दिखाई दें तो इसे नजरंदाज ना करें। अपने नजदीकी डॉक्टर से परामर्श कर सकते है। आज के समय टीबी का इलाज संभव है। टीबी का पूरा कोर्स जरूर करें। बीच में दवा छोड़ने पर आपको इसकी कीमत मौत से चुकानी पड़ सकती है। इसलिए टीबी को लेकर कुछ सावधान रहें और दूसरों को भी सावधान रखने के लिए जागरूक करें ।

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