चोट क्या है? जानिए कारण, लक्षण और उपाय

इंजरी होना यानी चोट लगना एक ही बात है।आज के समय में हर व्यक्ति खुद की लाइफ में बहुत व्यस्त हो गया है। इस व्यस्त लाइफ में अपने ऊपर ध्यान देना बहुत मुश्किल होता है। कई बार हमें हल्की फुल्की चोट भी लग जाती है। जिसे हम नजरंदाज भी कर देते है। यही चोट समय के साथ बडा घाव कर देती है। और असहनीय दर्द का कारण बन जाती है। चोट हमें अंदरूनी और बाहरी दोनो लग सकती है। अंदरूनी चोट इतनी तकलीफ देती है। कि समझ नही आता। जबकि बाहरी चोट पता चल जाती है। आज हम चोट को लेकर इस लेख में बात करेंगे। चोट क्या है। कितने प्रकार की होती है। और क्या थेरेपी से चोट ठीक की जा सकती है।

चोट क्या है

शरीर को किसी भी तरीके से हानि पहुंचाती है। चोट कहते हैं। चोट खेलने के दौरान ,गिरने के दौरान ,एक्सीडेंट होने पर, लड़ाई झगड़े की होने पर, आग , करंट या फिर किसी भी प्रकार चोट लग सकती है। चोट लगने पर यदि गहरा घाव लगता है। तो डॉक्टर के पास जाने से पहले फर्स्ट की जरूरत होती है। ताकि खून बह रहा हो तो उसे रोका जा सके। कई बार चोट लगने पर खून नहीं बहता है। आंतरिक और बाहरी दोनों हो सकती है। आमतौर पर चोट के निशान से खून नहीं आता। चोट लगने के तुरंत बाद त्वचा का रंग लाल हो जाता है। या नीला पड़ जाता है। और बाद में यह बैंगनी हो जाता है। कुछ देर बाद हरा रंग हो जाता है। लेकिन धीरे धीरे चोट ठीक हो जाती है। पुरानी पीढ़ी में चोट लगना एक बड़ी समस्या है। क्योंकि त्वचा पतली हो जाती है। जिसे आसानी से चोट लग जाती है। जो लोग खून को पतला करने वाली दवाई लेते हैं उन्हें भी चोट के निशान पड़ जाते हैं। ऐसा ज्यादातर एथलीट और भारोत्तोलन चोटों से पीड़ित होते हैं। जब कोई व्यक्ति कठोर वस्तु से टकराता है तो उसे चोट लगने की संभावना हो जाती है।

कितने प्रकार की होती है चोट

जब चोट लगती है। तो स्किन से या तो खून निकलने लगता है या फिर स्क्रीन पर निशान पड़ जाता है। ऐसी चोट स्किन इंजरी कहलाती है। ऐसे में स्किन छिल जाती है। और ब्लीडिंग होने लगती है। वहीं कुछ लोगों में खून नहीं निकलता है। लेकिन चोट वाले स्थान पर सूजन आ जाती है। इसे सॉफ्ट टिशु इंजरी भी कहते हैं। कई बार लिगामेंट और मसल्स में भी स्ट्रेस और खिंचाव खिंचाव आ जाता है। कई बार चोट इतनी तेज होती है कि स्ट्रांग टिशू भी डैमेज हो जाते हैं। इससे हड्डियां टूट जाती है। जिससे चोट वाले स्थान पर फ्रैक्चर हो जाता है।

मोच

लिगामेंट को बहुत ज्यादा स्ट्रेच करने या खींचने से मोच आ सकती है। लिगामेंट ऊतकों का टुकड़ा होता है जो दोनों हड्डियों को जोड़ता है।

घुटने की चोट

कोई भी चोट जो घुटने के जोड़ के मूवमेंट को प्रभावित करती है। स्पोर्ट्स इंजरी या बहुत ज्यादा स्ट्रेचिंग मसल्स वाली इंजरी के कारण होता है।

मसल्स में सूजन

चोट लगने पर सूजन होना आम बात है। मांसपेशियों में सूजन होने पर वह कमजोर हो जाते हैं ।और भी दर्द होता है।

फ्रैक्चर

बोन फ्रैक्चर को ब्रोकन बोन या हड्डियों का टूटना कहा जाता है। यह बहुत ही गंभीर स्थित होती है। ऐसे में व्यक्ति चलने फिरने में दिक्कत महसूस करता है।

डिस्कलोशन

इसका संबंध खेल से है। स्पोर्ट्स इंजरी की वजह से हड्डियां अपनी जगह से खिसक जाती हैं। ऐसा होने पर सूजन या दर्द होता है।

रोटेटर कफ इंजरी

मांसपेशियों के चार टुकड़े मिलकर रोटेटर कफ बनाते हैं। यह जब कंधों को चारों दिशाओं में घुमाने में मदद करते हैं।तो इनमें से किसी भी मांसपेशी में खिंचाव आने पर रोटेटर कफ कमजोर हो जाता है।

चोट लगने के क्या है लक्षण

कई बार चोट मामूली रूप से लगती है। जो बिना उपचार के अपने आप 1 से 2 दिन में ठीक हो जाती है। लेकिन चोट यदि गंभीर है। तो उसका उचित उपचार कराना जरूरी है। वरना बाद में गंभीर समस्या हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति को चोट लगी है तो लापरवाही बिल्कुल ना करें। चोट लगने के लक्षण इस प्रकार देखते हैं।

  • जहां चोट लगी है उस जगह पर छूने से दर्द होता है।
    चोट वाले हिस्से में सूजन आ जाती है।
  • चोट लगने वाले हिस्से की त्वचा का रंग काला या लाल हो जाता है। और बाद में नीला भी हो जाता।
  • चोट लगने पर कमजोरी महसूस होती है। हाथ में अगर चोट लगी है। तो सामान उठाने पर असमर्थता होती है।
  • पैर में अगर चोट लगी है तो चलने फिरने में दिक्कत होती है।
  • चोट लगने पर गांठ पड़ जाती है। साथ निशान पड़ जाता है।और वो जगह ठोस हो जाती है।

चोट लगने के क्या है कारण

चोट लगने का कोई कारण नहीं होता या अनगिनत वजह से हो जाती है।

  • लड़ाई, मारपीट, झगड़ा
  • कार या बाइक्स से ,एक्सीडेंट
  • जानवर या किसी कीड़े के द्वारा काटना
  • जल जाना ,करंट लगना
  • पानी में तैरते हुए चोट लगना,
  • खेल के मैदान पर चोट लग जाना
  • चलते-चलते अचानक गिर पड़ना
  • सीढ़ियों से फिसल जाना
  • किसी भारी चीज से टकरा जाना
  • अचानक किसी का हमला कर देना

चोट लगने पर क्या है इलाज

सामान्य चोट के इलाज के लिए आरएसी के मेथड का इस्तेमाल किया जाता है। चोट लगने पर इलाज के लिए व्यक्ति को निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • चोट लगने पर व्यक्ति को रेस्ट करना चाहिए
  • चोट लगने के स्थान पर 20 मिनट तक बर्फ लगानी चाहिए
  • चोट लगने वाले स्थान पर बर्फ से सिकाई के बाद कंप्रेशन यानी पट्टी बांधनी चाहिए।
  • हाथ पैर में चोट लगने पर एलिवेशन करना चाहिए। इससे सूजन कम होती हैं।
  • चोट लगने के बाद अधिक एक्सरसाइज ना करें।
  • चोट लगने पर पेन किलर दवा खा सकते हैं।

चोट के लिए थेरेपी

पर्याप्त आराम और रिकवरी थेरेपी की फिटनेस भी बड़ी भूमिका होती है। अक्सर हम शरीर को ठीक होने के लिए पर्याप्त समय नहीं देते हैं। फिटनेस में सुधार लाने में जल्दबाजी करते हैं। और लंबे समय तक शरीर का क्षमता से अधिक दोहन करते हैं। ऐसे में चोटिल होने की संभावना अधिक बढ़ती है। और मांसपेशियां रिकवरी धीमी हो जाती हैं। इसलिए चोट लगने पर हमें सावधानी बरतनी चाहिए। चोट लगने पर दर्द कड़ापन हो जाता है ।इसलिए इलेक्ट्रोथेरेपी मदद करती है। निम्न प्रकार की थेरेपी से चोट का इलाज संभव है।

स्पोर्ट्स मसाज

इसमें कई तरह की मसाज तकलीफ शामिल होती है। डीप टिशु मसाज से जकड़न दूर होने के साथ मांसपेशियों वा लिगामेंट की हीलिंग जल्दी होती है। सूजन से आराम मिलता है और जोड़ों में गतिशीलता आती है। इसका मनोवैज्ञानिक असर भी होता है। तनाव कम होता है। पेशेवर या मनोरंजन के लिए नियमित खेलने वालों के महीने महीने में एक बार डीप टिश्यू मसाज लेनी चाहिए।

हाइड्रोथेरेपी

इसे पानी से किया जाता है। व्यायाम या खेल के बाद हाइड्रो थेरेपी की मदद से मांसपेशियों की हीलिंग तेज होती है। वह जल्दी पहले की स्थिति में आ जाती है ।यह थेरेपी ठंडे पानी, गर्म पानी,या ठंडा और गर्म पानी तीनों तरह की से की जा सकती है। सप्ताह में एक बार यह थैरेपी जरूर लेनी चाहिए।

कंप्रेशन

इस थेरेपी में ऐसे कपड़े पहने जाते हैं। जो अंगों में दबाव डालते हैं। कंप्रेशन वियर सूजन कम करते हैं। रक्त प्रभाव बढ़ता है और मांसपेशियां बेहतर काम करती हैं।इससे खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस भी बढ़िया होती है

स्ट्रेचिंग

स्ट्रैचिंग सबसे आम व प्रभावी रिकवरी तकनीक है। अच्छे ट्रेनर प्रशिक्षण से पहले और बाद में स्ट्रेचिंग जरूर करवाते है। स्ट्रेचिंग में चुनिंदा मांसपेशियों स्ट्रेच करते हैं। इससे काफी मदद मिलती है।

निष्कर्ष

खिलाड़ी और बच्चे कुछ सावधानियां बरतकर चोट के निशान से बच सकते हैं। कभी कभी खेलते समय चोट लगना कोई सामान्य बात नहीं है। यही चोट आगे चलकर घातक हो जाती है। चोट छोटे बच्चे, युवावस्था और बुजुर्गों के भी लग सकती है। ऐसे में सभी लोगों को एहतियात बरतना चाहिए। हमने चोट से जुड़ी कई बातें आपको ऊपर बताई है। उसे अच्छी तरह पढ़कर चोट के बारे में समझ सकते हैं।

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